कहमुकरी ख्वाब सजाकर रखती हूॅं नित।उन्हें छुपाकर रखती हूॅं चित।।रहती फिर भी जग में तन्हा।क्या सखि? साजन! न सखी! कन्हा।।०१।। याद उन्हें ही कर मैं खोयी।चरणों में सिर रखकर सोयी।।करे…
Author: Swarakshi Swara
वाह रे इंसान.. जैनेंद्र प्रसाद रवि
वाह रे इंसान *****************धन-दौलत सब माल-खजाना यहीं धरा रह जाएगा,खाली हाथ तू आया बंदे खाली हाथ ही जाएगा।मूर्ति की पूजा करता है माता-पिता से प्यार नहीं, पद-पैसा पा इतराता है…
तन्हा तन्हा..राम किशोर पाठक
कुण्डलिया तन्हा-तन्हा है आज-कल, यहाँ सकल संसार।कारण इसका क्या भला, करिए जरा विचार।।करिए जरा विचार, कभी खुद को भी झाँके।बना बहाना काम, नहीं औरों को ताके।।होते सभी समान, नहीं कोई…
गौरव..रामकिशोर पाठक
नाभा छंद २११-१११, २२२-२२ गौरव क्षणिक, पाना क्यों चाहें।कौन बरबस, फैलाता बाहें।।चाहत अगर, मैला हो तेरा।अंतस गरल, फैलाए डेरा।। सुंदर सृजन, होते हैं ज्यों ही।वंदन नमन, पाते हैं त्यों ही।।भक्ति…
सर्दी का मौसम… आसिफ़ इक़बाल
देखो ठंडी हवा चली,गाँव-शहर के गली गली।सर्दी का मौसम है आया,प्रकृति का संदेशा लाया। दृढ न रहो, अटल न रहो,रहो न एक जैसा हर बार।तुम भी खुद को बदलो ऐसे,मौसम…
भजन..रामकिशोर पाठक
प्रभु नाम का कर ले – विधाता छंद गीत फलेगा काम सब तेरा, शरण अब राम तुम धर ले।मिटेगा पाप सब तेरा, भजन प्रभु नाम तुम कर ले।। चलो राहें…
रुख हवाओं का बदल दूं..
गजल२१२२-२१२२ नैन तेरे कर सजल दूँ।आज लिखकर मैं गजल दूँ।। कौन तेरा है बता दो।आज रिश्तें कर अटल दूँ।। यूँ न फेरों नैन हमसे।लग रहा खुद को गरल दूँ।। चाहता…
सर्दी आई
सर्दी आई । सर्दी आई, सर्दी आई ,लेकर कंबल और रजाई ।स्वेटर , कोट और शॉलों ने,सबको दी पूरी गरमाई । पर्वत – पर्वत बर्फ गिराती,ठंडी – ठंडी हवा चलाती…
नशा छोड़िए..राम किशोर पाठक
नशा छोड़िए- गीतिका २१२२-२१२२-२१२२-२१२ त्यागिए खुद ही नशा को गर्त में मत खोइए। हो रहे बर्बाद क्यों आबाद भी तो होइए। देखिए उनको जरा करते नहीं हैं जो नशा। देखकर…
राम विवाह..रामकिशोर पाठक
राम विवाह – सरसी छंद गीत संग सभी भ्राता भी उनके, परिणय को तैयार।सिया वरण करने को आयें, सजे-धजे सुकुमार।। अगहन शुक्ल पंचमी आयी, होता राम विवाह।झूम रहे हैं सब…