मन:स्थिति…बैकुंठ बिहारी

मन चंचल है द्रुतगामी है,अकल्पनीय है इसकी स्थिति,कभी व्यथित कभी विचलित,अबूझ है इसकी स्थिति,कभी आत्मकेंद्रित, कभी पराश्रित,अबोधगम्य है इसकी स्थिति,कभी किंकर्तव्यविमूढ, कभी स्वावलंबी,दुर्बोध है इसकी स्थिति,कभी हर्षित,कभी शोकग्रस्त,गूढ है इसकी…

मन अगर वैधव्यमय हो.. डॉ स्वराक्षी स्वरा

मन अगर वैधव्यमय होतन सजाकर क्या करूंगी? चाह कब मैंने किया थास्वर्ण से यह तन सजानाऔर तो इच्छा नहीं थीआसमां तक उड़के जानाकामना इतनी सी मेरीसाथ मिलकर पग बढ़ाना पांव…

भावुक हूं मैं.. डॉ स्वराक्षी स्वरा

हां,मैं भावुक ही तो हूंतभी तो सह नहीं पातीहल्की सी भी चोट,फिर चाहे वो शरीर पर हो    या कि लगे हों       दिल पर।। हां,मैं भावुक ही तो हूंतभी तो देख…

हिंदी (ग़ज़ल) स्वराक्षी स्वरा

निज भाषा का मान है हिंदीहम सबका सम्मान है हिंदी ।। साहि त्यिक  समृद्धि  काद्योतक है,अवमान है हिंदी ।। सब भाषा से घुल जाती हैसच में बड़ी महान है हिंदी…

कौन? रत्ना प्रिया

नित्य कर्म करती है प्रकृति पर,रहती है शाश्वत मौन,कई प्रश्न उठते हैं मन में,इसका उत्तर देगा कौन ? नित्य समय पर दिनकर आता,प्रकाश का अक्षय भंडार,इस जगती के हर प्राणी…

चलो नेह का दीप जलाएँ- किशोर छंद – राम किशोर पाठक

चलो नेह का दीप जलाएँ- किशोर छंद चलो नेह का दीप जलाएँ, कैसे भी। सबसे मिलकर स्नेह बढ़ाएँ, कैसे भी। क्षमा भाव को मन में लाएँ, कैसे भी। सबको अपना…

गुरु वंदना – डॉ स्वराक्षी स्वरा

आओ कर लें गुरुओं का गुणगान गुरुओं से है अपनी ये पहचान नादान थे,अंजान थे, दे शिक्षा किया जीवन को आसान गुरुओं से है……. (1) बाधाओं से पार निकाला है,…