वीणा रखती हाथ में, सुर संगीत साथ में, जीवन में आनंद हो, भाव रस पीजिए। मॉं तेरी हंस सवारी, लगती कितनी न्यारी, धवल हो मन मेरा, शंका हर लीजिए। कर…
Category: छंद
दोहावली- मनु कुमारी
अमर रहे गणतंत्र यों, जैसे सूरज चान। जन-जन का सम्मान ये, सबका है अभिमान।। संविधान से है मिला, जीने का आधार। बाबा साहब ने दिया,अनुपम-सा उपहार।। हिंदू मुस्लिम सिख सभी,…
दोहावली- रामकिशोर पाठक
निर्णायक जन-जन जहॉं, सफल वहीं गणतंत्र। समता जिसके मूल में, भागीदारी मंत्र।। छब्बीस जनवरी शुभद, दिवस हुआ गणतंत्र। संविधान लागू हुआ, जिससे चलता तंत्र।। आज चतुर्दिक दिख रहा, लूट-पाट षड्यंत्र।…
मनहरण घनाक्षरी- देवकांत मिश्र ‘दिव्य’
कटक में जन्म लिए, देश हित कर्म किए, देशभक्त थे सुभाष, कर्मनिष्ठ जानिए। माता प्रभावती साथ, पिता जी जानकी नाथ, शिक्षा कर्म में प्रख्यात, दिव्य पुत्र मानिए। हिंद फौज का…
मनहरण घनाक्षरी- रामकिशोर पाठक
चुनें सही सरकार, करके सोच विचार, स्वदेश के उत्थान को, बटन दबाइए। कर निज मतदान, करें देश का उत्थान, समाज के विकास को, हाथ तो बटाइए। है आपका अधिकार, करें…
मनहरण घनाक्षरी- रामकिशोर पाठक
नारी को सम्मान मिले, नयी पहचान मिले, बालिका दिवस सभी, प्रेम से मनाइए। कन्या का हो जन्म पर्व, समाज को भी हो गर्व, लिंग भेद बंद करें, भ्रूण को बचाइए।…
मनहरण घनाक्षरी- रामकिशोर पाठक
सुभाष चंद्र बोस को, देश के उस जोश को, जनता मदहोश को, फिर से जगाइए। पास और पड़ोस को, देश और विदेश को, अंतर्मन के रोष को, हौसला दिखाइए। धरती…
मनहरण घनाक्षरी- रामकिशोर पाठक
पाठशाला के द्वार को, बच्चों में सुविचार को, खोलने को आप नित, समय से आइए। परिसर साफ करे, सब हाथों हाथ करे, स्वच्छ परिधान रहे, बच्चों को सिखाइए। पाठ रोज…
दोहावली- रामकिशोर पाठक
है महाकुंभ स्नान का, वेदों में गुणगान। अमृत स्नान बेला सुखद,करे तेज प्रदान।। त्रिवेणी जल प्रयाग का, मन से करिए स्पर्श। सकल रोग नाशिनी यह, करिए नहीं विमर्श।। तन-मन पावन…
दोहावली – रामकिशोर पाठक
मने हमारे देश में, नित्य नये त्योहार। मकर रवि का प्रवेश जब,खुशियाँ तभी अपार।। बाँट रहे खुशियाँ सभी, मिलजुल कर परिवार। संक्रांति की बेला यह, उत्तर सूर्य पधार।। फसल भरा…