प्रेम है राजू को केवल रोटी और चाँद से रोटी जो मिटाती है भूख उसकी देती है उसे नींद, संतोष आकाश भर चाँद जो बढ़ाता है भूख उसकी मिटाता है…
Category: प्रेम
प्रतिकृति – रत्ना प्रिया
मातृ-भक्ति का मुझे मिला, जो प्रसाद नौनिहाल का, नूतन दिवस है मेरी प्रतिकृति के दसवें साल का। नन्हीं कली का मधु-स्पंदन, मेरी कोख में आया था, उस क्षण की अनुभूति…
प्रेम दिव्य अनुभूति परम है- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
प्रेम दिव्य अनुभूति परम है आओ हम विश्वास बढ़ाएँ। प्रेम मग्न हों प्रभु को भजकर, अंतर्मन नव भाव जगाएँ। प्रेम पंथ पर पग जो रखते बन जाती है नई कहानी।…
पिता – शांति कुमारी
एक उम्मीद है एक आस हैं पिता परिवार की हिम्मत और विश्वास है पिता बाहर से सख्त अंदर से नर्म है पिता उनके दिल मे कई मर्म है पिता संघर्ष…
मां – अंजली कुमारी
पृथ्वी पर जीवन का अंकुर फूटा, धरा पर हरियाली छाई है । हर जीव जगत का वंश बढ़ाने, स्त्रीत्व चरम पर आई है । माहवारी का दर्द सहा, सौंपा जीवन…
मुखौटा-
सुंदर मुखौटा लिए चेहरे पर, ईमानदारी का रंग चढ़ाया था। ईमान बेच कर उपदेश दे रहे, गीता का कसम खाया था।। दीवारें चिख कर कुछ कह रहे थे । “आंगन…
विदाई की बेला-सुरेश कुमार गौरव
काल चक्र के समय काल को, विदा करने की भी ठानी गई चंद सेकेंड,मिनट, घंटे,पहर को, सबके द्वारा मानी भी गई। विदाई तो बहुतों की हुई, तब मन और आंसू…
मित्रता की सार्थकता-सुरेश कुमार गौरव
जब जीवन में मिलते हैं सच्चे और अच्छे मित्र मन मस्तिष्क में उभरते हैं सार्थक जीवन चित्र! मित्र है वह जो हमारे अतीत काल को जानता है हमारे भविष्य में…
प्रेम-अमरनाथ त्रिवेदी
प्रेम प्रेम से बड़े न दूजो आन । प्रेम से बड़े न दूजो आन ।। प्रेम जहाँ फलता – फूलता है , मिलता विजय , श्री, सम्मान । प्रेम बिना…
राधाकृष्ण से सीताराम बनना है प्रेम- राजेश कुमार सिंह
वह प्रेम है ही नहीं जिसका उद्देश्य शरीर को पाना है। हर युग में प्रेम का मतलब राधा-कृष्ण बन जाना है।। माता-पिता एवं गुरुजनों को भुलाकर प्रेम नहीं होता। संस्कृति…