फिर क्यों करती है माँ हल्ला-राम किशोर पाठक

कहती अम्मा मुझको लल्ला। फिर क्यों करती है माँ हल्ला।। कान्हा थें कितना ही नटखट। माखन मिसरी खाते चटपट।। घूमा करते सदा निठल्ला।। फिर क्यों करती है माँ हल्ला।।०१।। फिर…

भावुक हूं मैं.. डॉ स्वराक्षी स्वरा

हां,मैं भावुक ही तो हूंतभी तो सह नहीं पातीहल्की सी भी चोट,फिर चाहे वो शरीर पर हो    या कि लगे हों       दिल पर।। हां,मैं भावुक ही तो हूंतभी तो देख…

लिखी हूं प्रेम पाती प्रिय- एस के पूनम

विधाता छंद। विधान-1222*4(लिखी हूँ प्रेम पाती प्रिय)(1)गगन हो या धरा पर हो,तुम्हें सत्कार जन-जन में। तुम्हीं को देख जीती हूँ,प्रणय का रीत कण-कण में। बजे मेरे पदाभूषण,सुरीला गीत छन-छन में।…

प्रतिकृति – रत्ना प्रिया

मातृ-भक्ति का मुझे मिला, जो प्रसाद नौनिहाल का, नूतन दिवस है मेरी प्रतिकृति के दसवें साल का। नन्हीं कली का मधु-स्पंदन, मेरी कोख में आया था, उस क्षण की अनुभूति…

प्रेम दिव्य अनुभूति परम है- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

प्रेम दिव्य अनुभूति परम है आओ हम विश्वास बढ़ाएँ। प्रेम मग्न हों प्रभु को भजकर, अंतर्मन नव भाव जगाएँ। प्रेम पंथ पर पग जो रखते बन जाती है नई कहानी।…