बालमन कल्पनाओं के अंबुज में गोते लगाता बालमन, भरना चाहता है सदैव उन्मुक्तता की उड़ान, अंगीकार कर लेना चाहता है स्वच्छंदता की अनंत असीम विस्तार। कौतुहल से भरी शिशु मन…
Category: बालगीत
आइस पाईस-मनोज कुमार दुबे
आइस पाईस आइस पाईस चोर कहाँ पकड़ो भाई छुपा वहाँ सोनू मोनू रानी प्यारी इस बार अच्छी तैयारी मोटा गोलू छिपा कहा कैसे ढूंढे यहा वहाँ नैना तुमको आइस…
खरहे की चतुराई -सुधीर कुमार
एक बार एक खरहे को था , एक सियार ने घेरा । लगा सोचने मन में खरहा , कैसा पड़ा ये फेरा । खरहे ने देखा कि अब तो ,…