बहती गंगा-सी पुण्यधार रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’

पद्धरी छंद सम-मात्रिक छंद, 16 मात्राएँ आरंभ द्विकल से, पदांत Sl अनिवार्य।   मां सिद्धिदायिनी दिव्य भाल। दिखते हैं सागर से विशाल।। कर अभ्यागत की पूर्ण आस। भर दें संस्कारित…

वंदनवार सजे शारदा – कुंडलिया छंद – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’

पेड़ लगा मां के नाम से, होंगे जग में नाम। उनके ही नेपथ्य में, पाना चिर विश्राम।। पाना चिर विश्राम, जगत में स्वर्ग मिलेगा। श्रम सुंदर तालाब के, पंक में…

इंस्पायर्ड अवॉर्ड पैगाम-विवेक कुमार

सुनो सुनो सुनो…………..    लाया हूं एक सुंदर-सा पैगाम,नवाचार में जिला ने किया नाम,देश में पाया पहला मुकाम,मुकाम पा लहराया परचम,बढ़ाया देश में जिले का मान,छात्रों का बढ़ाया अभिमान,पायी उपलब्धि आसान…

कौन? रत्ना प्रिया

नित्य कर्म करती है प्रकृति पर,रहती है शाश्वत मौन,कई प्रश्न उठते हैं मन में,इसका उत्तर देगा कौन ? नित्य समय पर दिनकर आता,प्रकाश का अक्षय भंडार,इस जगती के हर प्राणी…

हिंदी – गिरिधर कुमार

हिंदी   हिन्द की आवाज, प्राकृत, पाली, संस्कृत से क्रमशः निःसृत, भारतीयता की पहचान हिंदी।   भारतेंदु से पंत तक, महादेवी से भावपूरित, निराला के अंनत तक, दिनकर की ओज…