पद्धरी छंद सम-मात्रिक छंद, 16 मात्राएँ आरंभ द्विकल से, पदांत Sl अनिवार्य। मां सिद्धिदायिनी दिव्य भाल। दिखते हैं सागर से विशाल।। कर अभ्यागत की पूर्ण आस। भर दें संस्कारित…
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वंदनवार सजे शारदा – कुंडलिया छंद – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
पेड़ लगा मां के नाम से, होंगे जग में नाम। उनके ही नेपथ्य में, पाना चिर विश्राम।। पाना चिर विश्राम, जगत में स्वर्ग मिलेगा। श्रम सुंदर तालाब के, पंक में…
देश हमारा -राम किशोर पाठक
देश हमारा हरपल आगे। भारत वासी जब-जब जागे।। आदर देते हम-सब आएँ। भारत माँ की जय-जय गाएँ।। देव यहीं भूतल पर आते। धन्य धरा को कर सब जाते।। भूतल है…
महामानव -जैनेंद्र प्रसाद
महामानव पाकर भी ऊँचा पद- मिलता नहीं है यश, कई ऐसे गुमनाम, होते हैं यहांँ इंसान। घर से निकल कर- अपने ही बल पर, कुछ लोग दुनिया में, बनाते हैं…
मन का हारा जाए कहां -अमृता कुमारी
मन का हारा जाए कहां! मन का हारा जाए कहां आज हर कोई है आत्ममग्न अपने दिल की सुनाए कहां !! माना की भीड़ भरी इस दुनिया में लोगों को…
इंस्पायर्ड अवॉर्ड पैगाम-विवेक कुमार
सुनो सुनो सुनो………….. लाया हूं एक सुंदर-सा पैगाम,नवाचार में जिला ने किया नाम,देश में पाया पहला मुकाम,मुकाम पा लहराया परचम,बढ़ाया देश में जिले का मान,छात्रों का बढ़ाया अभिमान,पायी उपलब्धि आसान…
कौन? रत्ना प्रिया
नित्य कर्म करती है प्रकृति पर,रहती है शाश्वत मौन,कई प्रश्न उठते हैं मन में,इसका उत्तर देगा कौन ? नित्य समय पर दिनकर आता,प्रकाश का अक्षय भंडार,इस जगती के हर प्राणी…
हिंदी – गिरिधर कुमार
हिंदी हिन्द की आवाज, प्राकृत, पाली, संस्कृत से क्रमशः निःसृत, भारतीयता की पहचान हिंदी। भारतेंदु से पंत तक, महादेवी से भावपूरित, निराला के अंनत तक, दिनकर की ओज…
हिंदी हैं हम – आशीष कुमार पाठक
हिंदी हैं हम हिंदी हमारी वेदना हिंदी हमारी गान हिंदी हमारी आत्मा यह देश की हर तोतली आवाज हिंदी हमारी जान हमारी आन बान और शान मातृभूमि पर मर…
रसीले फल – राम बाबू राम
रसीले फल आम फलों का राजा है, रस से भरा रसीला है। लीची खट्टी मीठी है, यह हम सबको भाती है। बारिश की बूंदों के साथ, जामुन…