छोड़ दी हैं मैंने सारी अठखेलियाँ क्योंकि अब मैं पिता बन गया हूँ। अब मैं पिता को नखरे नहीं दिखाता, क्योंकि अब मैं पिता बन गया हूँ। छोड़ दी हैं…
Category: Aasha Ichchha
बदल देगी वक्त- रूपमाला/मदन छंद- राम किशोर पाठक
सर्व मंगल कामना ले, आज सारे भक्त। आ गयी जब मात घर में, बदल देगी वक्त।। शरद का नवरात्र आया, हर्ष छाया गेह। बाटती है आज माता, हर किसी को…
निःशब्द सौंदर्य – बिंदु अग्रवाल
वह अनुपम अद्वितीय यौवना सिर पर पत्थरों का भार लिए एक हाथ से अपने आँचल को संभालती। हिरनी सी सजल आँखे उसकी विवशता को दर्शाती, सजने सँवरने के दिन, नैन…
शिक्षा सुलभ बनाना- राम किशोर पाठक
विद्यालय कार्यभार लेकर, हैं खोये। कागज में जैसे उलझ गए, हैं रोये।। शिक्षा के नव अंकुर मन में, जो बोये। चक्रव्यूह में फंँसा हुआ सा, है सोये।। सुधार हमें व्यवस्था…
नव भारत का निर्माण करें – बिंदु अग्रवाल
आओ भारतवासी मिल कर ज़न-ज़न का आह्वान करें, नव गति, नव लय, गीत नया हो नव भारत का निर्माण करें। निर्माण करें हम उस युग का जिसमें ज़न-ज़न का उत्थान…
विश्व आत्महत्या निवारण दिवस-गिरीन्द्र मोहन झा
हर वक्त समझना अमूल्य जीवन का मोल, हर स्थिति में तू सदा शुभ सोच, तू शुभ बोल, धैर्य, धर्म, साहस, आत्मबल तू कभी न हार, हर दोष-दुर्बलता पर पराक्रम से…
बारिश की बूंदे -बिंदु अग्रवाल
बारिश की बूंदे गिर रही हैं । यह उनकी नियति है। उन्हें गिरना है । उन्हें नहीं मालूम की अपना घर छोड़ते वक्त किस मंजिल पर आकर रुकेंगी? किसी पोखर…
तेरे सपने हों नित ऐसे-अमरनाथ त्रिवेदी
पढ़ो लिखो या खेलो यहाँ पर , पर नाम करो इस जग में । व्यर्थ बैठे तुम क्या करोगे , जब कुछ कर न सकोगे मग में । जीना हो…
जीवन-दर्शन – गिरीन्द्र मोहन झा
तुम अपने जीवन के सुदीर्घ पथों को देख, मात्र निज जीवन-यात्रा पर फोकस करना। तेरा जीवन सहज, पवित्र, अर्थपूर्ण, परोपकारमय हो— यह जीवन-दर्शन है, ये बातें तुम सदैव ध्यान रखना।…
पिता – राम किशोर पाठक
द्विगुणित सुंदरी छंद सबका बोझ उठाना, करना नहीं बहाना। अपना दर्द छुपाना, हर पल ही मुस्काना।। सबका शौक पुराना, उफ्फ नहीं कर पाना। संघर्ष की कहानी, नहीं सुनाना जाना।। हाथ…