माँ- डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या

  माँ माँ! सुंदर ! बहुत सुंदर, शब्द ब्रम्ह समाया, अंतस्थ अन्तर्मन रोम-रोम, स्पंदन, समर्पण, सुंदर, सुरभित चितवन!   माँ! मेरी संगिनी, प्रेम की रागिनी, दुलार की अद्भुत सरिता, प्रेमाश्रु…

महाराणा प्रताप – राम किशोर पाठक

महाराणा प्रताप   राजस्थान के मेवाड़ में, सिसोदिया राजवंश था। वीर उदय सिंह द्वितीय का, जन्म लिया एक अंश था।। जयवंता बाई सोनगरा, क्षत्रिय नाम सुमार था। जिनके पावन गर्भ…

मेरी मुन्नी- बाल कविता- राम किशोर पाठक

मेरी मुन्नी सुबह खिड़की जब खोली माई, सूरज की किरणें थी आई। मुन्नी आँखें खोल न पाई, मईया ने आवाज लगाई।। आँखें मींचकर मुन्नी उठी, मईया से जैसे हो रुठी।…

कौन रुका है? – गिरीन्द्र मोहन झा

कौन रुका है? प्रश्न है कौन रुका है? सूर्य, मंदाकिनी का चक्कर लगाते, अवनि, सूर्य का चक्कर लगाती, मयंक, पृथ्वी का चक्कर लगाता। फिर बोलो कौन रुका है? पौधे निरन्तर…

दहेज -डॉ. स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

माँ के भला कोख़ में क्यों मरती बेटियाँ, जन्म लेती नमक क्यों हैं चखती बेटियाँ। समाज के दरिंदों तुम आवाज़ मेरी सुन, खुद मरती रहीं तुमको हैं क्यों जनती बेटियाँ।…