(श्रुतिकीर्ति की अंतरवेदना) बड़ा कठिन है रे मन! राजरानी बनकर अवध में रहना, और राजर्षि पति शत्रुघ्न का भ्रातृधर्म निभाने को संकल्प लेना और… बिन कहे प्रिय से दूरी का…
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सुन री दीया – अवनीश कुमार
सुन री दीया काश! तू सुन पाती, मेरी विरह-व्यथा समझ पाती। तेरी जलती लौ से, क्या-क्या अनुमान लगाऊं? मद्धिम पड़ती लौ से, क्या-क्या कयास लगाऊं? बिन पिया, दीया, तुझे क्या-क्या…
चित्रधारित सृजन – नीतू रानी
जल से भरकर पात्र को रखना निशदिन भाय, आएगी चिड़िया पानी पीने जाएगी प्यास बुझाय। पीती है पानी चिड़िया हृदय से निकलता धन्यवाद, जो पानी पिलाने का पुण्य करता वह…
पिता – गिरीन्द्र मोहन झा
परमपिता परमेश्वर हैं, हम सब उनके संतान, उन्हीं की अनुकम्पा से, हम सब सदा क्रियमाण । सबसे पहले परमपिता परमात्मा को प्रणाम, उन्हें वन्दन, उनका स्तवन, पुण्यप्रद उनके नाम।। पिता…
आम आदमी का अंदाज – हरिपद छंद – राम किशोर पाठक
आम आदमी का अंदाज – हरिपद छंद आज आदमी आम हो गया, नहीं रहा कुछ खास। बदल रहे अंदाज सभी के, रहा नहीं विश्वास।। दोष रहा भर सबके मन में,…
जीवन-यात्रा – गिरीन्द्र मोहन झा
करना है, करते ही जाना है, बढ़ना है, बढ़ते ही जाना है, जब है सूर्य का तुममें वास, कोई अंधेरा क्या बिगाड़ेगा, उर में हो जोश का आकाश, शत्रु भी…
गोरैया – मनु कुमारी
रोज सबेरे चूं -चूं करके हम सबके आंगन आती है। दुनिया के सोए मानव का हृदय स्पंद जगाती है।। एक एक तिनका को चुनकर मेहनत से घर वो बनाती है।…
काश!सबके किस्मत मे होता- अवनीश कुमार
सबके किस्मत मे नही होता दादी की बनाई आचार चट करना और फिर मुस्कुराकर उनके पीछे छिप जाना सबके किस्मत मे नही होता दादू के कंधे पर बैठकर कान्हा बन…
अंगेठी सा तू जल जरा – संजय कुमार गुप्ता
अंगेठी में ना होती लौ ,ना होती कोई लपेटे । पर तमस समेटे रहते हैं ये काले जलते कोयले। यूं ही साए में जीते हैं पर तम- तिमिर-तृष्णा , सब…
नव वर्ष – डॉ स्नेहलता द्विवेदी “आर्या”
नव संकल्प ले नव विहान का, नूतन अभिनन्दन कर लो। जो विकृति हो अपसंस्कृति हो, उसका चलो शमन कर लो। नव संकल्प ले नव विहान का, नूतन अभिनन्दन कर…