मनहरण घनाक्षरी (कैसी ये पहेलियाँ) पतझड़ में पत्तियां, दूर चली उड़कर, शांत मौन नभचर,सूनी-सूनी डालियाँ। कलियाँ भी मुर्झाकर, बिखरी है सूख कर, मंडराता मधुकर,अब कहाँ क्यारियाँ। चमन उजड़ गया, उड़…
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धोखे से बचाता हूँ – एस.के.पूनम।
कृष्णाय नमः मनहरण घनाक्षरी (धोखे से बचाता हूँ ) चलें चल पाठशाला, देखो खुल गया ताला, गुरु खड़े द्वार पर,उनको बुलाता हूँ। वर्णमाला सीखकर, गोल-गोल लिखकर, दादा-दादी नाना-नानी,सभी को लुभाता…
प्रकृति हुई हैरान – एस.के.पूनम।
चल रही गर्म हवा, पशु पंछी हलकान, नीड़ में दुबक गए,गगन भी सुनसान। हिम भी पिघल कर, उड़ गए वाष्प बन, नदियाँ भी सूख गईं,जलचर परेशान। कीचड़ भी सूख कर,…
बच्चों का पालन – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
छंद:- जलहरण घनाक्षरी उचित माहौल बीच, बच्चों का पालन करें, उसका असर आगे, होता परिवार पर। मित्र-सहपाठी संग, कहां होता आना-जाना, हमेशा नजर रखें, संगत-संस्कार पर। खान-पान शिक्षा-ज्ञान, इसका भी…
मनहरण घनाक्षरी – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
छंद:- मनहरण घनाक्षरी नदी बीच बिना चीर कभी ना नहाना नीर, सबक सिखाते हमें, सांवला सांवरिया। प्यार को जगाने हेतु राधा को रिझाने हेतु, छिपके कंकड़ मार, फोड़ते गगरिया। सभा…
शरणागत की रक्षा – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
प्रभाती पुष्प जलहरण घनाक्षरी छंद बक्सर में ऋषियों के यज्ञ को सफल किया, अनुज लखन संग, ताड़का को मार कर। सुग्रीव को प्यार किया, बालि का संघार किया, मारीच-सुबाहु जैसे,…
पति को विश्वास है- एस.के.पूनम
🙏ऊँ कृष्णाय नमः🙏 हास्यरस(मनहरण घनाक्षरी) कह रही धर्मपत्नी, रहने को मौन ठानी, ऐसी मिथ्या धरा पर,पात्र परिहास है। संगिनी बेलन संग, रक्षित उसका अंग, कोई नहीं करे तंग,अस्त्र-शस्त्र खास है।…
मनहरण घनाक्षरी छंद में – जैनेन्द्र प्रसाद रवि
प्रभाती पुष्प मनहरण घनाक्षरी छंद में पति व पत्नी के बीच नहीं करें कोई जिच, हमेशा बना कर रखें, आपस में मेल है। एक दूसरे के बीच होती जो समझदारी,…
गिरगिट भी शर्माए – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
सुबह में किस दल रात में जाएं बदल, नेताओं के रंग देख, गिरगिट भी शर्माए। चुनाव के समय में नए-नए वादे सुन, उनके इरादे देख, मेरा दिल घबराए। सत्ता में…
जन मन सकुशल- एस.के.पूनम
🙏ऊँ कृष्णाय नमः🙏 विधा:-जलहरण घनाक्षरी (जन मन सकुशल) रमजान का महीना, पाक है मक्का मदीना, सेवा भाव सिलसिला,सदियों से है अचल। ज़कात फितरा दिए, खुशियाँ बटोर लाए, विधिवत इबादत,भाव रहे…