प्रेम अनुराग -जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद बसंत बहार ले के, रंगों का त्योहार आया, जगदंबा माता संग, शिव खेलें फाग है। सिर पर जटा जूट, हाथ लिए कालकूट, बने जब नीलकंठ, गले पड़ा…

बंधन-.सुरेश कुमार गौरव

जीवन एक विश्वास रुपी है अनोखा बंधन, रक्त के तो कहीं बिना रक्त के कहलाते बंधन, हर्ष-विषाद,खट्टी-मीठी और अनोखी यादों का, भरोसे, धैर्य, विश्वास, प्रेम,आशामय रुप का, पर जीवन एक…

आराधना कर ले- एस.के.पूनम

🙏कृष्णाय नमः🙏 विद्या-मनहरण घनाक्षरी 💐(आराधना कर ले)💐 राधे बोल राधे बोल, कृष्ण बोल कृष्ण बोल, रोज भज राधा-कृष्ण,सुमिरन कर ले। नाम जप तप कर, ध्यान किया दु:ख हर, धरा पर…

उचित समय- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद पेड़ पौधे झुक जाते, जलधारा रुक जाते, जड़ पे असर होता, विनती विनय के। ईश में विश्वास करें हमेशा प्रयास करें, प्रार्थना भजन करें, पवन तनय के।…

गुण को नमन- जैनेन्द्र प्रसाद रवि

फल फूल अन्न मिले, पौष्टिक भोजन मिले, परम नमनीय है, पसीना किसान के। देश की वो रीढ़ होते, धरती में बीज होते, जिनसे आबाद मिट्टी, खेत खलियान के। देश के…