भला बुरा सबको समझाती हल्का करती हर दुख भारी। हाथ पकड़कर राह दिखाती पुस्तक सच्ची मित्र हमारी।। हर बाधा से हमें बचाती यह जीने का हुनर सिखाती। जब गहराता गहन…
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Through Padyapankaj, Teachers Of Bihar give you the chance to read and understand the poems and padya of Hindi literature. In addition, you can appreciate different tastes of poetry, including veer, Prem, Raudra, Karuna, etc.
हमें नहीं अब युद्ध चाहिए- संजय कुमार
हमे नहीं अब युद्ध चाहिए, नहीं हमे अब युद्ध चाहिए, संघर्ष नहीं विराम चाहिए। सत्य अहिंसा विश्व बंधुता करुणा मित्र और प्यार चाहिए। नहीं और अब युद्ध चाहिए। अहं और…
मनहरण घनाक्षरी -जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
प्राण संग दुनिया से कर्म धर्म साथ जाते, केवल मानव तन जलता है आग़ में। दीप संग तेल जले परवाना गले मिले, वर्तिका में छिपी होती रोशनी चिराग में। अज्ञानी…
ऐ इंसान तुम इंसानियत क्यों भूलते हो -नीतू रानी
ऐ इंसान तुम इंसानियत क्यों भूलते हो कभी भी मेरी खोज नही करते तुम न हीं कभी कोई खैरियत पूछते हो। जब टूटा था दुःख का पहाड़ तुम पर तब…
पीएम पोषण योजना- नवाब मंजूर
भोजन करते बच्चे लगते कितने अच्छे एक कतार में एक पंगत में अपने मित्रों के संगत में खा रहे हैं छोले और पुलाव प्रफुल्लित हैं, हर्षित हैं अण्डे की ओर…
नमन मंच – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी “”””””””””””””””””””’” “डूबते को तिनके का” +++++++++++++ हजारों तारों के बीच, हमेशा चमकता है, जैसे आसमान बीच- एक ध्रुवतारा है। धीर-वीर पुरुषार्थी, दुनिया में पूजे जाते, अकेला सूरज करे-…
दोहावली -देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
काया वह किस काम की, अगर न हो उपयोग। श्रम की ज्वाला में तपा, करिए तब उपभोग।। बुरा कर्म होता बुरा, रहिए इससे दूर। अपनाकर सत्कर्म को, भरें तोष भरपूर।।…
काश वो बचपन लौट आए -संजय कुमार
काश,वो बचपन लौट आये, वो बचपन की भोली शरारत। वो बादलों को छूने की चाहत, तितलियों के पीछे भागना सपनों की दुनिया में जागना। वो नन्ही परियों की कहानी। अपनी…
मंहगाई – जयकृष्ण पासवान
बिन गोली तलवार बिना, कमर टूट रही है। भारत के कोने -कोने में, हहकार मच रही है ।। कौन है भाई ,कहां का भाई वह है महंगाई ,वह है महंगाई।…
हल्का हो गया बस्ता – एस.के.पूनम
रात्रि-पहर जल्दी से सो जाता था, बोझिल मन से प्रातः उठ जाता था, सहम जाता बस्ते का बोझ उठाने से, कंधों की वेदना से तड़प जाता था। जाग गया है…