आजादी की शान तिरंगा। भारत की पहचान तिरंगा।। फलित साधना वर्षों की है, करते हम गुणगान तिरंगा। केसरिया साहस से गुंफित, त्याग शक्ति बलिदान तिरंगा। धवल प्रभा-सी विमल सादगी, चक्र…
Category: sandeshparak
Sandeshparak poems are poems that are used to convey a message with feelings. Through poems, statements related to the country, the world, and society are transmitted to the people. Teachers of Bihar give an important message through the Sandeshparak of Padyapankaj.
देश हमारा भारत प्यारा – सुरेश कुमार गौरव
सदियों से देश हमारा भारत प्यारा सारे जहांँ से है यह बहुत ही न्यारा। रंग-रुप, भेष-भाषा में है विविधता इसकी अनेकता में भी है एकता। फिर भी है इसकी…
भारत का अभिमान तिरंगा – जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
भारत का अभिमान तिरंगा। हम तो हैं उस देश के वासी, जहाँ बहती नित्य पावन गंगा।। उत्तर में है खड़ा हिमालय, दक्षिण में सागर लहराए। पश्चिम में गुजरात मराठा, है…
तिरंगा – एम. एस. हुसैन
तीन रंग का अपना झंडा सब देशों से है प्यारा। शान बड़े निराले हैं इसके, यह है सिरमौर हमारा।। केसरिया बल पौरुष भरता। हरा रंग है स्वरूप धरा का, श्वेत…
हर वर्ष पेड़ लगाना है- रविन्द्र कुमार
प्रकृति के हैं रूप अनेक पेड़ है जिनमें से एक। ये जहाँ भी होता है, जीवन खुशियों से भर देता है।। धरा को यह हरित बनाए, भोजन को भी…
खुद मनुष्य बन, औरों को मनुष्य बनाओ- गिरीन्द्र मोहन झा
सदा कर्मनिष्ठ, सच्चरित्र, आत्मनिर्भर बनो तुम, जिस काम को करो तुम, उससे प्रेम करो तुम। नित नई ऊँचाई छूकर, सदा आगे बढ़ो तुम, यदि कर सको तो, जरुरतमंदों की मदद…
कभी घबराना नहीं – जैनेन्द्र प्रसाद रवि
रूप घनाक्षरी छंद तूफानों में नाव डोले, कभी खाए हिचकोले, धारा बीच माँझी चले, थाम कर पतवार। अवसर आने पर, जोर लगा आगे बढ़ें, मिलता है मौका हमें, जीवन में…
भारत के प्राचीन ग्रंथ- गिरीन्द्र मोहन झा
वेद-वेदान्त की है उक्ति यही, सदा बनो निर्भीक, कहो सोsहं , उपनिषद कहते हैं, ‘तत्त्वमसि’, तुम में ही है ‘ब्रह्म’, तू न अकिंचन। ऋषि व्यास जी ने है रचा, शुभकर…
सागर और नदी -गिरीन्द्र मोहन झा
सागर ने नदी से कहा- सरिते! लोग कहते हैं, तुम नदी समान बनो, चलो, निरंतर चलो, विघ्नों को लाँघकर, अनवरत आगे बढ़ो, नदी ने सागर से कहा- तात! मेरी शरण…
किसने रोका है? – गिरीन्द्र मोहन झा
किसने रोका है? अंधेरा घोर घना है, एक बत्ती जलाने से किसने रोका है? प्रदूषण बहुत ही है, एक पेड़ लगाने से किसने रोका है? निराशा है चारों ओर, उर…