कर्म जो किया जाता है, वही होता है ‘कर्म’, जो करने योग्य हो, वही है कर्त्तव्य-कर्म, कहते हैं, कर्म के होते हैं तीन प्रकार, प्रारब्ध, संचित और क्रियमाण कर्म, जो…
Category: sandeshparak
Sandeshparak poems are poems that are used to convey a message with feelings. Through poems, statements related to the country, the world, and society are transmitted to the people. Teachers of Bihar give an important message through the Sandeshparak of Padyapankaj.
जीवनदान- विजय शंकर ठाकुर
// जीवनदान // पेड़ खड़े थे, पत्ते हरे थे, फल लगे थे, झूले डले थे, बाहर धूप थी, वहां छाया थी, वे सब यहां आए, आपस में बुदबुदाए, उठाई आरी,…
एक पेड़ मांँ के नाम – जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
एक पेड़ मांँ के नाम मनहरण घनाक्षरी छंद में बहुत खुशी की बात, आ गई है बरसात, पेड़-पौधे लगाकर, धरा को सजाइए। जहांँ हो जगह खाली, खेत-भूमि नमी वाली, एक…
यह धरती है प्रभु की प्यारी – अमरनाथ त्रिवेदी
यह धरती है प्रभु की प्यारी हम बच्चे अपने धुन में गाएँ, प्रभु चरणों में शीश नवाएँ । जिनका है धरती और अम्बर , उनके प्रति हम भक्ति बढ़ाएँ ।…
कल का सपना – राम किशोर पाठक
कल का सपना सपनों और अपनों के बीच, जीवन जीते हम-सब रहते। साँसों की डोरी को अपने, पल-पल सदा सँजोते रहते।। आज सदा है अपना होता, कोई कल का नहीं…
वर्षा और सावन- अमरनाथ त्रिवेदी
वर्षा और सावन सावन आया बड़ा सुहावन , लगता है इसमें मनभावन । इस माह होते कई पावन , ये दिल को लगते बड़े सुहावन ।। मेघ गर्जन होते हैं…
अकेलापन- गिरींद्र मोहन झा
अकेलापन जीवन की रणभूमि में हम सब अकेले हैं, सुख-दुख बांटने हेतु ही इस जग के मेले हैं, जब पड़ जाओ अकेला तुम, सोचो अकेले ही काफी हो, है तुम्हारा…
जीवन का क्या मोल है – महाचण्डिका छंद गीत – राम किशोर पाठक
जीवन का क्या मोल है – महाचण्डिका छंद गीत सुख की इच्छा में फँसा, विवश हुआ वह मौन है। जीवन का क्या मोल है, यहाँ समझता कौन है।। दे हाथों…
जीवन – गिरींद्र मोहन झा
जीवन दिन और वर्ष की तरह ही होता है जीवन, दिन में सूर्य उदित होते अरुणिमा के संग, सुबह का सुहावना होता पल, जैसे बालापन, ओज-तेज बढ़े तो मानो जैसे…
कलम का सिपाही- मुक्तक – राम किशोर पाठक
कलम का सिपाही- मुक्तक कलम का कोई सिपाही है कहा। मुफलिसी आटा गिला करता रहा।। चाँद तारे रौशनी करते रहें। राय धनपत जुगनुओं को हीं गहा।।०१।। निर्मला सेवासदन ने कुछ…