कभी घबराना नहीं – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

रूप घनाक्षरी छंद तूफानों में नाव डोले, कभी खाए हिचकोले, धारा बीच माँझी चले, थाम कर पतवार। अवसर आने पर, जोर लगा आगे बढ़ें, मिलता है मौका हमें, जीवन में…

भारत के प्राचीन ग्रंथ- गिरीन्द्र मोहन झा

वेद-वेदान्त की है उक्ति यही, सदा बनो निर्भीक, कहो सोsहं , उपनिषद कहते हैं, ‘तत्त्वमसि’, तुम में ही है ‘ब्रह्म’, तू न अकिंचन। ऋषि व्यास जी ने है रचा, शुभकर…

माहवारी औरतों के लिए ईश्वरीय वरदान – नीतू रानी

ईश्वर ने दिया महिलाओं को यह सुंदर वरदान महिलाओं के लिए है यह आन- बान- शान जिसके चलते आज हर घर में खेल रहा है सुन्दर प्यारा शिशु संतान। जिस…

मतदान अवश्य कीजिए – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”

लोकतंत्र का पावन पर्व, राय अपनी दीजिए। राष्ट्रहित में अवश्य अपना,अंश निश्चित कीजिए। बनिए मत सिर्फ मूक दर्शक, फैसला अब लीजिए। काम करें जो राष्ट्रहित में,मत उसे ही दीजिए।। किन्हीं…

लोकतंत्र का यह महापर्व- सुरेश कुमार गौरव

लोकतंत्र की यह पहचान है, जनता से चुनी जाती सरकार जनता तब-तब चुनती है, जब जब पड़ती इसकी दरकार पंचवर्ष बाद इस महापर्व में, बहुदलों के नेताओं की प्रकार जिसको…