वासंती महक- सुरेश कुमार गौरव

पीली-पीली सरसों की बगिया, लहराए खेतों में नव अभिलाषा। पतझड़ की उदासी को छोड़कर, लाया वसंत हर्ष की परिभाषा। प्रकृति ने ओढ़ी हरियाली चूनर, फूलों में घुली नव मधुर मुस्कान।…

नवजीवन संचार- अपराजिता कुमारी

शीत शरद की हो रही विदाई धरती मानो ले रही अंगड़ाई ऋतुराज की हो रही अगुवाई प्रकृति बसंती रंग में रँगाई। गुनगुनी धूप, स्नेहिल हवा सुंदर दृश्य, सुगंधित पुष्प मंद-मंद…

स्वतंत्रता के दीवाने सुभाषचंद्र बोस – अमरनाथ त्रिवेदी

स्वतंत्रता के दीवाने सुभाषचंद्र बोस जिनके आदि का पता तो है, पर अंत का पता नहीं, किस हाल में यह घटित हुआ, उसकी कोई खबर नहीं। लक्ष्य उनका एक था, आजाद भारतवर्ष हो, देश को…

राष्ट्रधर्म निभाती हिन्दी – स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या”

हिंदी! संस्कृत की जाई, देवनागरी लिखाई, स्वर व्यंजन वर्ण, सब से बन है पाई। हिंदी ! सुपाठ्य और सुलेख्य, कुछ भी नहीं अतिरेक। जैसी दिखती, वैसी होती, बोलना लिखना सब…

हिन्दी हमारी शान है- सुरेश कुमार गौरव

  हिन्दी  हमारी शान है, हिन्दी है पहचान, संस्कृति का अभिमान, हिन्दी का गान। मिट्टी की खुशबू में रचती यह दमक, हिन्दी है भारत की अद्भुत चमक। शब्दों का यह…

दुश्मनी कभी न पालिए- अमरनाथ त्रिवेदी

  अगर दोस्त  किसी  के बन न सके, तो दुश्मनी भी किसी  से न पालिए। ईर्ष्या, द्वेष, घृणा   की आग   में, कभी  जीवन  को  न गुजारिए। जलाती पहले  ईर्ष्या खुद…

वीरता की गाथा व संदेश – सुरेश कुमार गौरव

  शस्त्रों की शान, देश धर्म की पहचान, हर युग में जिनसे गौरव पाता इंसान। वीर सपूत गुरु गोविंद, महान अधिनायक, सच्चाई का दीप जलाने वाले गुरुनायक। पिता ने शीश…