अहिंसा की हो बात, स्वतंत्रता की मिले सौगात, सादगी जिसकी पहचान, सत्य जिसका कमान, बापू तुम हो महान। सत्याग्रह जिसकी शक्ति, गाँधी थे वो व्यक्ति, निडरता जिससे मिला न्याय, ब्रह्मचर्य…
Category: sandeshparak
Sandeshparak poems are poems that are used to convey a message with feelings. Through poems, statements related to the country, the world, and society are transmitted to the people. Teachers of Bihar give an important message through the Sandeshparak of Padyapankaj.
गाँधी- शास्त्री जयंती- रामकिशोर पाठक
हम भूल गये है शास्त्री को, सिर्फ गाँधी याद हमें आयें। दोनों का यह जन्मदिवस, आओ श्रद्धा सुमन चढ़ायें।। देश हित में दोनों का हीं, अतुलनीय रहा योगदान। है…
सत्य के राही महात्मा गाँधी- अमरनाथ त्रिवेदी
भारत के महाकाश में , एक नक्षत्र-सा बिंबित हुआ। सत्य अहिंसा का धीरव्रती वह, भूमंडल पर प्रतिबिंबित हुआ।। बचपन से ही सत्य, न्याय का, भाव सदा अर्पित करता। बाल्यकाल से…
खेल- रामकिशोर पाठक
खेल-खेल कर बड़े हुए हम घुटनों से अब खड़े हुए हम। है इससे कुछ ऐसा नाता, बच्चे बूढ़े सभी को भाता। बचपन का यह मित्र महान, कह गए हैं…
बेटी के मायने – अमरनाथ त्रिवेदी
बेटी है तो यह घर संसार है। बेटी है तो संबधों के आधार हैं।। बेटी है तो संबंधों में संचार हैं। बेटी है तो संबंधों के मधुर जाल हैं।। बेटी…
मेरी हर यात्रा- अवनीश कुमार
सुन री सखी-सहेली! वे राम बने, मैं मर्यादा की सीमा बनूँ, वे कृष्ण बने, मैं राधा की काया बनूँ, वे विष्णु बने, मैं उनकी हरिप्रिया बनूँ, वे शिव बने,…
मेरी बेटियाँ- डॉ स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
मेरी बेटियाँ! मेरे प्रतिरूप, मैं बसती हूँ उनमें, अंतस्थ बिल्कुल अंदर, आद्योपांत सर्वांग, प्राणवायु की तरह। मेरी बेटियाँ! मुस्कुराहटों में, आशाओं में, बातों में, आख्यानों में, संवाद में,…
बेटियाँ- गिरीन्द्र मोहन झा
धन्य वह गेह, जहाँ खिलखिलाती हैं बेटियाँ, धन्य वह गेह, जहाँ चहचहाती हैं बेटियाँ, धर्म-ग्रंथ कहते हैं, गृह-लक्ष्मी होती बहु-बेटियाँ, सारे देवों का वास वहाँ, जहाँ सम्मानित हैं बेटियाँ, बेटी…
बेटी के सपने – अमरनाथ त्रिवेदी
बेटी के सपने की उड़ान को, अब कमतर कर नही तौलेंगे। बेटी सफलता की उड़ान है, उस पर कीचड़ नही उछालेंगे।। बेटा बेटी के अंतर को, अब पाटना बहुत जरूरी…
भारत की पूर्ण पहचान हिंदी – सुरेश कुमार गौरव
हिन्दी बनी मातृभाषा, तब भाषा की जननी थी। इस समृद्ध भाषा ने देश को एक नई पहचान दी।। चहुँ ओर पहुंँचकर यह जन-जन की पुकार बनी। साहित्यकार, कवियों और…