दरस देतीं प्रथम माता, कहाँ हो तुम चली आतीं। क्षुधा प्यासा ललन बैठा, पके दाना तुम्हीं लातीं। दया कर के परोसीं वो, मिटी जो भूख खाने से। कसम से आज…
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अभियान गीत- रामकिशोर पाठक
छोटे बड़े का भेद रहे न, हम सबको गले लगाएँगे। बच्चे बूढ़े जवान साथ में, हम शिक्षित सबको बनाएँगे।। रहे नहीं उदास कोई भी, हम सबको हँसी सिखाएँगे। रहे…
अदृश्य जीवन चालक- अमरनाथ त्रिवेदी
यह जीवन क्या है ? जहाँ संवेदनाओं के तार जुड़ते हैं, अपने कहाने वाले भी मुड़ते हैं। मनुष्य कभी अपनों से घिरा होता है, कभी परायों से मिला होता है,…
अदृश्य जीवन चालक- अमरनाथ त्रिवेदी
कोई तो चलानेवाला होता है यह जीवन क्या है ? जहाँ संवेदनाओं के तार जुड़ते हैं, अपने कहाने वाले भी मुड़ते हैं। मनुष्य कभी अपनों से घिरा होता है, कभी…
हृदय का कूप माँ – अवनीश कुमार
माँ! केवल माँ नहीं है वो, घर का दीया है, दीये की बाती है, चूल्हे की आग है, तवे की रोटी है, घर का द्वार है, द्वार की चौखट…
प्यासा कौवा – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
भीषण गर्मी का एक दिन था सूरज चमक रहा था सिर पर। गर्म हवा के झोंकों को, झाँक रही धरती फट-फट कर।। तभी पेड़ों की एक शाखा पर कौवा…
दादी का हलवा- रामकिशोर पाठक
अम्मा हलवा बना दो न। दादी को खिला दो न।। देखो शाम हो आई है। दादी को भूख सतायी है।। दादी को है दाँत नहीं। रोटी चबा पाई नहीं…
दादी का हलवा- रामकिशोर पाठक
अम्मा हलवा बना दो न। दादी को खिला दो न।। देखो शाम हो आई है। दादी को भूख सतायी है।। दादी को है दाँत नहीं। रोटी चबा पाई नहीं…
भावना बालमन की -अमरनाथ त्रिवेदी
दादी हैं खुशियों के खजाने , दूध , मलाई देती हैं। हम हैं उनके पोता, पोती, हमें गोदी में उठा लेती हैं। मम्मी का जब गुस्सा आता, दादी ही हमें …
अनोखा व्रत करवा चौथ – अमरनाथ त्रिवेदी
करवा चौथ का व्रत, हर वर्ष में एक बार आता है । सुखद स्मृतियों के सुभग तान से, यह जीवन धन्य कर जाता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में…