लोहार – रामपाल प्रसाद सिंह

लोहार लोहे पर निर्भर जीवन,लोहार हूॅं मैं।कम पैसे में काम करूॅं,उपकार हूॅं मैं।विस्मित कर देता जग को,फनकार हूॅं मैं।मानसून के संग चलूॅं,बौछार हूॅं मैं।जिसने बसा लिया उसका,संस्कार हूॅं मैं।चोर उचक्के…

शीतलता के बीच एक दोपहरी भटकी- रामपाल प्रसाद सिंह अनजान

शीतलता के बीच एक दोपहरी भटकी।रोला कैसा है लावण्य, रूपसी नाजुक नारी।कोमल पीपल पात,सरीखे डिगती डारी।।जो जाते उस राह,भनक लेते जो तेरा।झलकी लेकर पास,अटककर लेते फेरा।। बिन जाने तव चाह,चाह…

Hindi divas

हिन्दी दिवस : रसों की सरिता        सुरेश कुमार गौरव    हिन्दी का श्रृंगार है, जैसे फूलों की मुस्कान, भावों में रस बरसाए, प्रेम भरे अरमान।   वीरों…

हिंदी

विश्व हिंदी दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं हिंदी! संस्कृत की जाई, देवनागरी लिखाई, स्वर व्यंजन वर्ण, सब से बन है पाई। हिंदी ! सुपाठ्य और सुलेख्य, कुछ भी…

हिंदी माथे की बिंदी- जैनेन्द्र प्रसाद रवि

मनहरण घनाक्षरी छंद भाग-१सुगम हमारी हिन्दी,देश के माथे की बिंदी,हिंदी से ही भारत की, होती पहचान है। संस्कृत की बेटी यह-कहलाती मातृभाषा,हिंदी में तो पढ़ना व, लिखना आसान है। करोड़ों…

शिक्षक -अजय कुमार

शिक्षक माताऐं देती नव जीवन, पृथ्वी देती अन्न – जल, पिता सुरक्षा करते हैं, लेकिन सच्ची मानवता, शिक्षक जीवन में भरते हैं, सही – गलत का बोध कराना, शिक्षक हमें…

शिक्षा

शिक्षा जीक्न मूल है, मानव धर्म सामान. शिक्षा बिन सब सुन है, वाहन सुघर सुनाम.. पाहन मे ज्यो प्राण है, मुरत में भगवान. शिक्षा जिन मन में बसे, समझो सूजन…

शिक्षक हमारे ज्ञान पुंज-अमरनाथ त्रिवेदी

शिक्षक हमारे ज्ञान पुंज कौन कहता शिक्षकों के बिना , तकदीर हम सबकी बनेगी ? कौन कहता शान में , इनके बिना सही जिंदगी कटेगी ? ज्ञानपुंज के बिना क्या…