धीरज का बल-ब्रजराज चौधरी

धीरज का बल

सामने जब हो विकट समस्या
मौत सी संकट आन खड़ी हो,
धीरज का बल कभी ना खोना
मौत से डरकर तुम ना रोना ।

दिमाग़ के होते हैं दस दरवाजे
दसों खोलकर रखना तुम,
तुरंत जो भी युक्ति सूझे
उसपर अमल करना तुम ।

जान तेरा बच जाएगा
ईमान तेरा बच जाएगा,
जो बच न पाये जान अगर
तो होंगे तेरे बहादुरी के चर्चे।

लोग-बाग जब जिक्र करेंगें
सौ-सौ बार ये बात कहेंगे,
संकट देख ना घबराया जो
ऐसे बीर की पूजा करेंगे।

जो अगर तू रोना-धोना करेगा
निश्चय ही कायर मौत मरेगा,
जिंदा भी गर रह जाये तो
कायर कमजोर ही नाम रहेगा।

लोग-बाग की नजरों में तुम
इतना गिर क्या जी पाओगे,
हर घड़ी, हर डगर, नज़र में
जिल्लतें ही केवल तुम पाओगे।

राह हमेशा ही हैं वीर बनाते
धीर गम्भीर से बढ़ते जाते ,
कायर हैं केवल गाल बजाते
धीरज जिन्हें वो, कभी न घबराते।

ब्रजराज चौधरी
मध्य विद्यालय रन्नूचक
नाथनगर (भागलपुर)
9973946750
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