एहसान-स्वाति सौरभ

एहसान

उपहार में मिली कार आप पर एहसान होती है
पुरस्कार में मिली कलम आपकी पहचान होती है

सौदे से मिली शोहरत,आप पर एहसान होती है
मेहनत से मिली सम्मान, आपकी पहचान होती है

भीख में मिली दौलत आप पर एहसान होती है
कर्म से कमाई इज्जत, आपका स्वाभिमान होती है

काबिलियत कभी किसी की गुलाम नहीं होती है
इंसान की प्रतिभा कभी नीलाम नहीं होती है

एहसान तले तबे अक्सर, एक दिन टूट कर बिखर जाते हैं
तप कर पहचान बनाने वाले, निखर कर सामने आते हैं

अपना ईमान बेचने वाले,एहसान के बोझ से ही दब जाते हैं
बाधाओं से डटकर लड़ने वाले,अपनी मुकाम खुद बनाते हैं

लगन और परिश्रम को किसी एहसान की जरूरत नहीं होती
ईमानदार व मेहनती को किसी के पहचान की जरूरत नहींहोती

स्वाति सौरभ
आदर्श मध्य विद्यालय मीरगंज
आरा नगर भोजपुर
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