भारत की चुनावों में
धन की है बोलबाला,
पैसे से ही आज यहांँ, होती जीत- हार है।
अधिकांश लोग एक
जाति की ही नेता होते,
कैसी भी हो छवि पर, होती जयकार है।
सभी धर्म जातियों को
साथ ले के चले सके,
गांँधी जैसा सर्वमान्य, नेता दरकार है।
बिना नजराना दिए
होता कोई काम नहीं,
पग-पग पर यहांँ, फैला भ्रष्टाचार है।
भाग-२
अशिक्षा पिछड़ापन,
सीमित हैं संसाधन,
इसी के कारण आज, पिछड़ा बिहार है।
कुटीर उद्योग बिना,
कल-कारखाने नहीं,
कौशल विकास नहीं, शिक्षा रोजगार है।
झूठा नहीं आश्वासन,
इन्हें चाहिए राशन,
युवाओं की जरूरत, आर्थिक बहार है।
पढ़ लिखकर युवा
बैठ जाते हैं बेकार,
आगे इन्हें दिखता जीवन अंधकार है।
शासन की बागडोर
कर्मठ के हाथ में हो,
युवाओं की भागीदारी, वक्त की पुकार है।
जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
