गणेश- कहमुकरी – राम किशोर पाठक

Ram Kishore Pathak

गणेश- कहमुकरी

पेट बड़ा हर-पल दिखलाता।
लड्डू झट-पट चट कर जाता।।
मोहित करता सुनहरा केश।
क्या सखि? साजन! न सखी! गणेश।।०१।।

छोटे-छोटे काले नैना।
हर लेते मेरे चित चैना।।
देता मुझको कुशल संदेश।
क्या सखि? साजन! न सखी! गणेश।।०२।।

बड़े कान हाथी के जैसे।
खुसुर-फुसुर भी समझे जैसे।।
हितकर उसके सभी उपदेश।
क्या सखि? साजन! न सखी! गणेश।।०३।।

सबसे पहले उसे पुकारूँ।
उसपर अपना जीवन वारूँ।।
मानूँ उसके सभी आदेश।
क्या सखि? साजन! न सखी! गणेश।।०४।।

लम्बी नाक सदा मन मोहे।
गोल मटोल भाल अति सोहे।।
हरता है मेरा सभी क्लेश।
क्या सखि? साजन! न सखी! गणेश।।०५।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

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