मैं हिन्दी हूॅं-प्रियंका दुबे

Priyanka

Priyanka

मैं हिन्दी हूॅं

वर्षों पुराने इतिहास के पन्नों में,
दर्ज है मेरे अस्तित्व की कहानियाँ,
शिशु हूॅं मैं संस्कृत है जननी मेरी,
गर्व से बोलने और सुनने की तब थी रीतियाॅं,
प्राकृत की अपभ्रंश से अलंकृत मेरी उत्पत्तियाॅं,
अपभ्रंश,अर्ध मगधी और सौर सेनी में शामिल है मेरे जीवन की बारीकियाॅं।
मुझमे है उपन्यास सी रोचकता,
इतिहास सी प्रमाणिकता,
सहस्र वर्षों पुरानी है मेरे उद्भव की चुनौतियाँ,
बसती है मुझमे कहीं भारत देश की आत्मा,
देश की सांस्कृतिक विरासत की मुझमें ही है झलकियाॅं,
है प्रतिद्वंदियों से भरी मेरे सफर की पगडण्डियाँ,
मगर फिर भी कम नहीं मेरे जीवन की उपलब्धियाॅं।

प्रियंका दुबे
मध्य विद्यालय फरदा  जमालपुर

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