जी भर कर अभी खेल ना पाई सखियों के संग मैया।
मेरे ब्याहने के खातिर तू बेच रही क्यों गैया।।
अपने हक का लाड़ प्यार मुझको री मैया दे दो।
शादी की इतनी क्या जल्दी है तुझको मैया कह दो।।
अभी खेलने के दिन अपने और स्कूल है जाना।
पढ़ लिखकर दुनिया में मुझको नाम है बहुत कमाना।।
पंख नहीं मेरी काटो मैया ऊंची उड़ान भरने दो।
बचपन को तो मैया मेरी जी भर कर जीने दो।।
कच्ची कली तेरी बाग की मैया तरुणाई आने दो।
यह बचपन का नया सवेरा,धूप अभी पाने दो।।
माता पिता संतान के होते हैं सबसे हितकारी।
मत करना तू ब्याह अभी सुन ओर मेरी महतारी।।
स्वरचित एवं मौलिक
मनु कुमारी, विशिष्ट शिक्षिका, प्राथमिक विद्यालय दीपनगर बिचारी, राघोपुर, सुपौल
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