गुरु हैं जग के सोपान गुरुवर के सानिध्य में बनते हम महान न रहते नादान, देते आशिष बनाते सुल्तान गुरूवर देते हमें अनुपम सकल ज्ञान हमारी नादानी का करते निदान…
रोटी-प्रियंका प्रिया
रोटी इस दो जून की रोटी की खातिर नीयत करते सब खोटी, वाकई रोटी चीज नहीं छोटी।। क्या कहूँ इस पापी पेट के लिए क्या क्या सितम उठाना पड़ता है,…
चतुर लोमड़ी-अशोक कुमार
चतुर लोमड़ी कौआ मामा बहुत चतुर, भूख से थे मजबूर। वह निकले गाँव की ओर, रोटी का टुकड़ा मिला जरूर। टहनी पर बैठकर खाना चाहा, इतने में आ गई लोमड़ी…
माँ जीवन का आधार-स्वाति सौरभ
माँ जीवन का आधार तू त्याग का प्रतीक है, तू जीवन का संगीत है तू धरा स्वरूप है, तू नारीशक्ति रूप है। तू निराशा में भी आशा है, जिसकी नहीं…
सब मिल पोषण कर जाओ-एकलव्य
सब मिल पोषण कर जाओ खाना-पीना देती मम्मी ड्रेस नहीं क्यों देती हो खाता में जब जाता पैसा अपना मान क्यों लेती हो? पैसा अपना माने तो क्या…
बचपन-संयुक्ता कुमारी
बचपन आज फिर से याद आई मधुर यादें वह बचपन की चिंता रहित खेलना और खाना न रोने का समय और न हँसने का बहाना मेरा बचपन भी था मद…
वर्षा रानी-प्रीति कुमारी
वर्षा रानी वर्षा रानी का आगमन पुलकित हुआ हमारा मन गर्मी से व्याकुल वसुंधरा को, जैसे मिला हो नव जीवन। बाग़-बगीचे हरे हुए और हरा हुआ सब वन-उपवन पुष्प सारे…
दूर धरा की अंधियारी-मनु कुमारी
दूर धरा की अंधियारी मिट्टी के दीये से जब करते हम, अपने घर की उजियारी, स्नेह के दिये जलाकर कर दें, दूर धरा की अंधियारी। खुशी की फुलझड़ियाँ, और पटाखे…
क्षितिज के पार-दिलीप कुमार गुप्ता
क्षितिज के पार हिम वेदना को पिघलाने नयनो के अश्रुकोश लुटाने विकल मन को त्राण दिलाने अन्तर्मन छवि पावन बसाने आओ चले क्षितिज के पार । कुत्सित भाव विचार…
महारथी कर्ण का वध-दिलीप कुमार चौधरी
महारथी कर्ण का वध कहते थे लोग जिसे सूत-पुत्र ; वह था कुन्ती का प्रथम सुपुत्र । पाण्डवों का था भ्राता ज्येष्ठ ; महा दानवीर और धनुर्धर श्रेष्ठ । होठों…