बाल प्रेरक व्यक्तित्व – राष्ट्रपिता गांधी जी एवं शास्त्री जी – अवधेश कुमार

बाल प्रेरक व्यक्तित्व : राष्ट्रपिता गाँधी जी और शास्त्री जीचरखा वाले बापू प्यारे,सत्य-अहिंसा की राह दिखाए।सादगी जिसने सिखलाई,सबको प्रेम-भाव अपनाए। शास्त्री जी थे कर्मयोगी,जय जवान-जय किसान का दिया नारा।सीधी सच्ची…

देवदूत – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

देवदूत(मनहरण घनाक्षरी छंद में)††††भाग-१देवदूत बनकर,लिया जब अवतार,वन गिरी जमीं संग, झूमा था गगन है। खुद जो गरल पीया,दूसरों के लिए जीया,ऐसे महा मानव को, दिल से नमन है। ‘पुतली’ के…

रघुनंदन का है शिकार- रामपाल प्रसाद सिंह अनजान

पद्धरी छंदसम -मात्रिक छंद, 16 मात्राएँआरंभ द्विकल से,पदांत Slअनिवार्य रघुनंदन का है शिकार। हर दिशा निशा लो गईं जाग।सबके होंठों पर एक राग।।रावण का करना आज दाह।घर जाते करना वाह-वाह।।…

गुरुद्वार-मैं जाऊंगी बार-बार – नीतू रानी

विषय -गुरुद्वार।शीर्षक -मैं जाउँगी बार -बार। मेरा सबकुछ है गुरुद्वार,मैं जाउंँगी बार- बार। मेरे माता-पिता गुरु हैंमेरे बंधु सखा गुरु,मेरे गुरु जी लगाएँगे बेरापारमैं जाउंँगी बार- बार।मेरा सबकुछ ——-२। मेरे…

अनुपम गाँधी-शास्त्री- राम किशोर पाठक

गाँधी शास्त्री थें भारत के लाल। जन्में दोनों सुंदर देश विशाल।। अपने कर्मो से हरपल विख्यात। धन्य हुई दोनों से भारत मात।। सत्य अहिंसा दोनों के ही हाथ। जन जीवन…

आलू रे आलू तेरा रंग कैसा – नीतू रानी

आलू रे आलू तेरा रंग कैसाजिस सब्जी में मिला दूँ लगे उस जैसाआलू रे आलू ———-२। आलू की चटनी बहुत हीं प्यारीआलू की भूजिया बड़ी निराली,ये दोनों भात, दाल पे…

बहती गंगा-सी पुण्यधार रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’

पद्धरी छंद सम-मात्रिक छंद, 16 मात्राएँ आरंभ द्विकल से, पदांत Sl अनिवार्य।   मां सिद्धिदायिनी दिव्य भाल। दिखते हैं सागर से विशाल।। कर अभ्यागत की पूर्ण आस। भर दें संस्कारित…

रावणी गुण- राम किशोर पाठक

हत्या चोरी आचार यौन । झूठी वाणी रहना न मौन।। भाषा विभक्त-कारी कठोर। धारे लालच लोभ घनघोर।। कारण प्रभाव देता नकार। व्यर्थ गपशपी सदा व्यवहार।। ईर्ष्या क्रोध घृणा से प्रवीण।…

भारत की बेटियां – आशीष अंबर

सारे संसार में नाम कमाया है ,अपनी प्रतिभा का जादू बिखराया है।देश हो या विदेश हर जगह ,भारत की बेटियां अपना लोहा मनवाया है। कल्पना चावला, नीरजा या हो पीटी…