द्वारिका में मिलने को, सुदामा जी आए जब, चरण पखारें श्याम, पानी ले परात में। मित्र कहो समाचार, पूछा जब बार-बार, अपनी गरीबी नहीं, कहा मुलाकात में। वस्त्र फटे ठांव-ठांव…
मनहरण घनाक्षरी – एस.के.पूनम
विछोह की पीड़ा सहे, नयन तो भींग रहे, हृदय संतप्त कर,संग छोड़ आए थे। तप्त धरा पग बिंध, सजल अँखियाँ सिंधु सखा को संदेश भेज,मन भाव गाए थे। आँखियों में…
मां और धूप – मनु कुमारी
मां और धूप ये तपती धूप, याद दिलाती है मुझे, मेरे बचपन की। मेरी मां कभी -कभी नंगे पांव दौड़कर आती थी मेरे विद्यालय और शिक्षक से कहती _ मास्टर…
अनजान रिश्ते- नीतू रानी
अनजान रिश्ते जल्द रिश्तों में बदल गए, न कभी देखा न कभी जाना हाय दैया रिश्ते में मेरे पति बन गए। स्कूल में बैठी थी कुर्सी पर सुन रही थी…
वे मुस्काते फूल नहीं – मनीष कुमार शशि
वे मुस्काते फूल, नहीं जिनको आता है मुर्झाना, वे तारों के दीप, नहीं जिनको भाता है बुझ जाना; वे नीलम के मेघ, नहीं जिनको है घुल जाने की चाह वह…
माँ का आंचल – रत्ना प्रिया
चाहता हूँ मैं रोज मुझे माँ ,लोरी गा के सुनाए | माँ की लोरी , माँ का आंचल , माँ की बातें भाए || अबोध शिशु की रक्षा को ,…
माॅ॑ – नीतू रानी
पितु सु माता सौ गुणा सुत को राखै प्यार , मन सेती सेवन करै तन सु डाॅ॑ट अरु गारि। इसका अर्थ। पितु सु माता सौ गुणा -यानि पिता से माता…
मनहरण घनाक्षरी- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
वृक्ष पुत्र के समान, रखें सभी नित्य ध्यान, शुद्ध वायु प्राप्त होती, बड़े-बड़े काम हैं। पत्ते हैं गुणकारक, छाया तो शांतिदायक , फूल हैं मनमोहक, सुखद ललाम हैं। देवों के…
मुकुट मोर का है – एस.के.पूनम
🙏कृष्णाय नमः🙏 विद्या:-मनहरण घनाक्षरी निशाकर सोच रहे, यामिनी से वह कहे, कर ले अँखियाँ बंद,दस्तक है भोर का। मयूख है अंबरांत, जगत है अभी शांत, जाग गए नभचर,गुंजन है शोर…
सीतासोहर- मनु रमण “चेतना”
सुन्दर सुभग मिथिला धाम से, पावन पवित्र भूमि रे। ललना रे जहां बसु राज विदेह, प्रजा प्रतिपालक रे। चकमक मिथिलाक मन्दिर, खहखह लागै गहबर रे। ललना रे सिया अइली धरती…