वर्षा और जीवन वर्षा पर ही जीवन की , गतिविधि सारी चलती है । इसके बिना धरती भी , तवा समान ही जलती है ।। भूगर्भ जल की स्थिति भी…
जल बूँदों के संग में – मुक्तामणि छंद गीत- राम किशोर पाठक
जल बूँदों के संग में – मुक्तामणि छंद गीत वर्षा आती देखकर, झूम उठे हैं सारे। जल बूँदों के संग में, जीवन राह निहारे।। झुलस गयी धरती लगी, गीत नयी…
बच्चों मन से करो पढ़ाई- देवकांत मिश्र ‘दिव्य’
बच्चों मन से करो पढ़ाई “”””””””””‘””””””””””””””””””””””””””””””””” बच्चों मन से करो पढ़ाई। तुमको दूँगी दूध मलाई।। नहीं किसी से करो लड़ाई।। होगी इससे तभी भलाई।। नित्य सबेरे तुम जग जाओ। आशीष…
मेरे डॉक्टर – रुचिका
मेरे डॉक्टर जो जानता रहा मेरी हर पीड़ा, जिससे कहा मैंने अपनी सारी तकलीफ बिना किसी दुराव और छिपाव के और जिसने हर दुख के निराकरण के लिए किए न…
फूल बड़े हीं कोमल होते- अमरनाथ त्रिवेदी
फूल बड़े ही कोमल होते फूल खिले हैं बागों में , ये बड़े ही सुंदर लगते ! ये दृश्य मनोहारी होते , ये बहुत ही कोमल कोमल दिखते…
चिकित्सक का कार्य – गीतिका – राम किशोर पाठक
चिकित्सक का कार्य – गीतिका वैद्य, चिकित्सक, हकीम सारे। सबका जीवन सदा सँवारे।। रक्त, लहू, शोणित, लोहित जो। रुधिर, खून की दोष निहारे।। अस्थि, हाड़, हड्डी सब देखें। चर्म, खाल…
अपनी माटी से जुड़े – दोहावली – देवकांत मिश्र ‘दिव्य’
अपनी माटी से जुड़ें “””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””” अपनी माटी से जुड़ें, करें सदा गुणगान। बनी इसी से देह है, यही ईश वरदान।।०१ माटी में हैं गुण बहुत, यही जीवनाधार। रंग बनावट जानिए,…
समय सुहाने बचपन के – अमरनाथ त्रिवेदी
समय सुहाने बचपन के खेल- खेल में पढ़ते जाएँ। जीवन को अनमोल बनाएँ।। हम नए-नए खेलों को खेलें। नई-नई खुशियाँ भी ले लें ।। हम बच्चे देश के कर्णधार कहलाते।…
सोशल मीडिया – राम किशोर पाठक
सोशल मीडिया रूप संचार का बदल रहा, बदला अब सारा समाज है। अंतरजाल सभी अपनाएँ, बदला सबका काम-काज है।। खुलकर मन की करते बातें, परिवेश नया बना रहे हैं ।…
प्रेम जहाँ पग-पग मिलता – अमरनाथ त्रिवेदी
प्रेम जहाँ पग-पग मिलता देश हमारा सबसे न्यारा , लगता कितना प्यारा है ! जग के सारे देशों से , इसे प्रभु ने अधिक सँवारा है ! जग के …