बेटियाँ
पिता की पगड़ी को सम्भालती,
खुद को हर साँचे में है ढालती,
बेटियाँ रब की रहमत है,
न जाने कितने घरों की सँवारती।
बेटियाँ घर की रौनक हैं शान हैं,
भाई की बहन है घर का मान हैं,
बेटियों से ही रीति रिवाज जिंदा हैं,
बेटियाँ पूरे करतीं माँ का अरमान हैं।
बेटों के इंतजार में पैदा होती बेटियाँ,
धैर्य और संयम की सच्ची मूर्ति हैं,
सब्र हैं ,सन्तोष हैं चेहरे पर मुस्कान हैं,
बेटियाँ माँ बाप का बनती अभिमान हैं।
बेटियाँ माँ का प्रतिरूप हैं परछाई हैं,
पूर्व जन्म के नेकियों की कमाई हैं
बेटियाँ हर दुख में रहती साथ हैं,
बेटियों से ही बरकत घर में आई है।
रूचिका
प्राथमिक विद्यालय कुरमौली गुठनी सिवान
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