रूपघनाक्षरी – शृंगार – एस.के.पूनम

S K punam

ऊँ कृष्णाय नमः
विधा:-रूपघनाक्षरी।
विषय:-शृंगार।

उठती हैं सागर में,
तरंगें हजारों बार,
सिन्धु करे जल राशि,से शृंगार बार-बार।

केवट है नैया पर,
गाते गीत मलहार,
झूम रहे संगी-साथी,पहुँचे हैं उस पार।

सजनी प्रतीक्षा करे,
लहराते काले कच,
बाँहों में बाँहें डाल,पाई खुशियाँ अपार।

चाहे तुम दूर रहो,
रहोगी दिल के पास,
मधुर पल में खोया,अपना सारा प्यार।

एस.के.पूनम।
सेवानिवृत शिक्षक,फुलवारी शरीफ, पटना।

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply