सर्द हवा-राम किशोर पाठक 

Ram Kishore Pathak

सर्द हवाओं का झोंका है।

अम्मा ने मुझको रोका है।।

कहती बाहर में खतरा है।

सर्दी का पग-पग पहरा है।।

देखो छाया घना कोहरा।

सूरज का छिप गया चेहरा।।

बूँद ओस की चमक रही है।

चिड़िया भी कम फुदक रही है।।

आग जलाकर ताप जरा लो।

तन पर चादर ओढ़ जरा लो।।

ठिठुरन होती देखो तन में।

डर लगता है मेरे मन में।।

मैया चिंता क्यों करती हो।

सर्दी से कितना डरती हो।।

लाल तुम्हारा फौलादी है।

खतरों का वह तो आदी है।।

तुमसे डरकर कहूँ नहीं मैं।

ऐसे छुपकर रहूँ नहीं मैं।।

खेल-कूद मुझको करना है।

स्फूर्ति सदा तन में भरना है।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक 

प्रधान शिक्षक 

प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला

बिहटा, पटना, बिहार।

संपर्क – 9835232978

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