चलो चलें उस शांत वन में, जहाँ बसी है प्राण धुन में। पत्तों की बोली बह रही है, हरियाली के मृदु जतन में। नदी गुनगुन गीत कहती है, सागर छिपा…
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आलोचना एवं समालोचना – सुरेश कुमार गौरव
आलोचना सत्य हो, रहे उचित आधार, मन को चोट दे नहीं, बोले मधुर विचार। कटु वाणी की धार से, न टूटे मनहार, शब्द वही संजीवनी, जिससे हो उपकार। कहना सबको…
जीवन संकल्प – सुरेश कुमार गौरव
उठो, जगा लो मन का दीपक, भर लो जीवन में स्नेह-रूपक। सपनों के पंखों से उड़कर, छू लो नभ का स्वर्ण-सुंदर। विश्वास बने हर पल साथी, नव आशाओं की हो…
कोयल बोली मीठी बानी- सुरेश कुमार गौरव
कोयल बोली मीठी बानी, जैसे बजे मधुर तान, डाली-डाली झूम उठी है, हरियाली मुस्कान। नीम की डाली पर बैठी, गाए प्यारा गीत, सुनते ही मन हर्षित होता, हर बच्चा हो…
पुस्तकें – सुरेश कुमार गौरव
पुस्तक ज्योति समान है, तम को करती दूर। शब्द-शब्द में ज्ञान है, रस को लें भरपूर।। गुरुवाणी का गूंजना, देता सटीक विचार। वेद, शास्त्र, उपदेश में, छिपा हुआ आचार।। मीरा…
धरती माँ की पुकार – सुरेश कुमार गौरव
धरती माँ की बेहद करुण कहानी, सुन लो हे मानव! मत करो नादानी। पेड़ कटे, नदियाँ सूखीं, ज़मीन हुई कम, हरियाली की आशा — झूठी दलील दिए तुम।। साँसें बोझिल,…
कुंवर सिंह: बलिदान की गाथा -सुरेश कुमार गौरव
जय-जय वीर कुंवर बलिदानी, भारत माँ के भक्त स्वाभिमानी। अस्सी वर्ष में भी थी ललकार, शौर्य-ध्वजा उठा कर दी यलगार।। शस्त्र उठाया, धर्मयुद्ध रचाया, फिरंगी अंग्रेज़ों को हरकाया। धरती गरजी,…
बिन शिक्षक वैभव अधूरा- सुरेश कुमार गौरव
शिक्षक की गोद में पलता,उत्थानों का भाव। जिसकी पीठ पकड़ कर चलता,पड़ता देश प्रभाव॥ बोए बीज वही बन जाता,वटवृक्षों का नाम। उसकी छाया में संवरता,जन-जन का अभिराम॥ काल की गति…
मोबाइल का जाल – सुरेश कुमार गौरव
मोबाइल आया संग में मिली सुविधा, बढ़ती गई इस विचित्रता की दुविधा। ज्ञान-विज्ञान का खोल के पिटारा, छीन लिया हमसे अपनों का सहारा। सुबह उठें तो स्क्रीन की तलाश, रात…
जागो, उठो समय है पुकारता – सुरेश कुमार गौरव
उठो जवानों, चलो बनाओ, नव युग का इतिहास रचाओ। हौसलों से भर दो धरती और गगन, हर दिशा में करो आलोकित जीवन। तुम हो शक्ति, तुम हो रणवीर, तुम्हीं में…