(1)-छै येहा धारना दूनिया के, बेटी पराई होते छै। पर बिना बेटियौ के जग में, तकदीर सब के सुतले छै। (2)-जब बेटी हीं नय होतै त, बेटा फेर कहाँ सेय…
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कैसी हो मेरी संकुल की पाठशाला – अरविंद कुमार अमर
कैसी हो मेरी संकुल की पाठशाला, मन में यह प्रश्न कोंध रहा है? कैसी हो मेरी संकुल की पाठशाला। सजा -सजाया सुन्दर उपवन, नूतन निर्मल हो हर माला, ञ्यान मधू…
योग दिवस समारोह – अरविंद कुमार अमर
योग करें हम योग करें दूर सभी हम रोग करें, यह वरदान मिला जो हमको, इसका हम सदुपयोग करें । सुबह-सबेरे उठ जाना है आलस दूर भगाना है, तन-मन स्वस्थ…
बेटी:- अरविंद कुमार अमर
छै येहा धारना दूनिया के, बेटी पराई होते छै। पर बिना बेटियौ के जग में, तकदीर सब के सुतले छै। जब बेटी हीं नय होतै त, बेटा फेर कहाँ सेय…
पृथ्वी की है करुणा पुकार-अरविंद कुमार अमर
पृथ्वी की है करुणा पुकार–: पृथ्वी की है करूणा पुकार, सुन लो मनुष्य इसे बार-बार । महलों-दो महलों को बनाकर, हम पर मत डालो इतना भार। सभी वृक्षों को नष्ट…