वह बरगद, वह बरगद की छांव… सभी के लिए स्वीकार मन में, सभी के लिए प्यार मन में, वह छांव नहीं है अब! …है, अब भी है, हर शिक्षक शिक्षार्थी…
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एक श्रद्धांजलि-गिरिधर कुमार
जिनसे सीखे सपने बुनने जिनसे गुनगुनाना सीखा, अलविदा लता आपसे हमने जिंदगी को आजमाना सीखा। सीखा हमने मुहब्बत की लौ कैसे दिल में मचलती है, कैसे कोई अमन की खुशबू…