उम्मीद का दामन थाम के
है हौसला जब तक
हर काम करना है,
उम्मीद का दामन मुझे
यूं थाम चलना है।।
इम्तिहान कैसी भी हो
कोशिश से हर मुकाम चढ़ना है,
दौर-ए-मुश्किलें आएँ
सरहदें पार करना है।।
तिमिर हटा रौशनी का
उजाला हर ओर भरना है,
दीवारों-दर पे मुक्कद्दर आए
यही परवान चढ़ना है।।
क्षितिज से जा मिले धरा
नहीं लगे कोई पहरा,
फिज़ा की शोखियाँ बदले
यही अरमान है गहरा।।
उम्मीदों से सजे तरकश
नहीं आवाज हो कर्कश,
बुलंदी छू के आसमान की
छूटे खेल ये सर्कश ।।
प्रियंका प्रिया
स्नातकोत्तर शिक्षिका (अर्थशास्त्र)
श्री महंत हरिहरदास उच्च विद्यालय,पूनाडीह
पटना, बिहार
0 Likes