अब दुश्मन को मिलकर दलना चाहिए
लाहौर कराची नही पूरा पाक दहलना चाहिए।
गुस्ताखी कर दी,तुमने हमें छेड़ कर,
अब इतिहास नहीं भूगोल बदलना चाहिए।
खूब हुआ गणतंत्र दिवस का प्रदर्शन,
अबकी झांकी का प्रदर्शन सीमा पर दिखना चाहिए
बहुत हुए सिंधु जल समझौते,
अब दुश्मनों का भी रक्त निकलना चाहिए।
नापकियों का फिर नही ही कभी सवेरा,
नापाक ज़मी पर ऐसा सूरज ढलना चाहिए।
रक्त बहे सपूतों के, ताशकंद भी हमने भुला दिया,
विश्व पटल पर नक्शा पाक का बदलना चाहिए
ललकारा है नापकियों भरत वंश के लालों को,
धरा ए पाक पर रुदन विलाप मचना चाहिए
इतिहास नहीं भूगोल बदलना चाहिए…….
निधि चौधरी,
किशनगंज
बिहार
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