उठा वीणा बजा डालूँ – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

उठा  वीणा  बजा  डालूँ ,
 सुना  मधुमास आया है ।
ये तारें हैं   वीणा   की ,
मधुर  झंकार  लाया   है ।

खिले हैं  फूल चहुँदिस में,
बड़ा संदेश लाया   है ।
भँवरें अठखेलियाँ करती ,
चमन  में  बहार छाया  है ।
उठा वीणा बजा डालूँ ,
सुना मधुमास आया है ।
ये तारें हैं  वीणा की ,
मधुर झंकार लाया है ।

सुमधुर कोयल की तानें है ,
सर्वत्र मधुमास छाया है ।
बसा लें इसे हर दिल में ,
वासंती पैगाम आया है ।
उठा वीणा बजा डालूँ ,
सुना मधुमास आया है ।
ये तारें हैं वीणा की ,
मधुर झंकार लाया है ।

जहाँ  तक है दिखाई देता ,
सजी यह वसंत की नगरी ।
भरे यह   प्रेम हर दिल में ,
उठाए  प्रेम की गगरी ।
कण कण सृष्टि शोभित है,
वासंती सौंदर्य छाया है ।
उठा वीणा बजा डालूँ ,
सुना मधुमास आया है ।
ये तारें हैं वीणा की ,
मधुर झंकार लाया है ।

सजी है महफिल सी रौनक ,
सर्वत्र संगीत छाया है ।
अभी प्रकृति सुहानी है ,
धरा पर प्यार आया है ।
उठा वीणा बजा डालूँ ,
सुना मधुमास आया है ।
ये तारें है वीणा की ,
मधुर झंकार लाया है ।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

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