ज्ञान की ज्योति जगा दे माँ- विवेक कुमार

Vivek

हे माँ शारदे,
वीणावादिनी माँ,
ज्ञान की देवी,
ज्ञान की ज्योति जगा दे माँ,
मैं हूंँ तुच्छ अज्ञानी,
मुझे ज्ञान का मार्ग दिखा दे माँ!

हे माँ हंसवाहिनी,
अंधकार निवारणी,
मेरा शब्दकोश है खाली,
भर दे तू इसे बजाकर ताली,
मुझ तुच्छ अज्ञानी को,
ज्ञान की ज्योत जगा दे माँ!

हे माँ बागेश्वरी,
तू बजाती सुरों की बाँसुरी,
मेरे कलम की लेखनी को दे धार,
लेखनी आपसे, आप सबके द्वार,
मुझ तुच्छ अज्ञानी को,
ज्ञान की ज्योत जगा दे माँ!

हे माँ भारती,
ज्ञान सबमें तू ही भरती,
तमस दूर हो हृदय हमारे,
आशा और विश्वास तुम्हारे,
मुझ तुच्छ अज्ञानी को,
ज्ञान की ज्योति जगा दे माँ!

हे माँ ज्ञानदा,
आँखों पर पड़े न मेरे परदा,
माँ मेरी कविता में तू,
भर दे वीणा की झंकार,
मुझ तुच्छ अज्ञानी को,
ज्ञान की ज्योत जगा दे माँ!

हे माँ वाग्देवी,
मुझे दे सद्बुद्धि,
भेंट करूँ तुझे कलम पुष्प से,
गूँथे हुए सब हार,
मुझ तुच्छ अज्ञानी को,
ज्ञान की ज्योति जगा दे माँ!

विवेक कुमार
भोला सिंह उच्च माध्यमिक विद्यालय पुरुषोत्तमपुर, कुढ़नी, मुजफ्फरपुर

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