लोकतंत्र का आधार है “भारत का संविधान”
इससे ही चलता है देश के सभी नियम-कानून।
संविधान निर्माता की दूर दृष्टि का है यह नाम,
भारतीय लोगों की जरुरतों का है यह पूरा काम।
मूल अधिकार और कर्त्तव्य समानता सिखाता है,
प्रकृति का हर सृजन का संरक्षण करना बतलाता है।
संविधान की शुरुआत होती है “हम भारत के लोग से”
जाति, धर्म और पंथ से उपर यह “जीयो और जीने दो”।
जैसी भावना सिखाता, बतलाता और समझाता है,
वसुधैव कुटुंबकम् की भावना को भी यह दर्शाता है।
है अभिव्यक्ति की आजादी भी इस संविधान में वर्णित,
इससे हर दिन निखरता है और रहता है हमेशा चर्चित।
भारतीय राजव्यवस्था का है यह जरुरी कर्म रुपी ग्रंथ,
सर्वधर्म समभाव का प्रतीक बतलाता मानव ग्रंथ।
भारतीय संविधान उन्नीस सौ उन्चास को अंगीकृत हुआ,
इसके साथ आत्मार्पित और अधिनियमित भी यह हुआ।
देश का संविधान भारत के लोगों का है जरुरी विधान,
इससे ही होता है हम भारतीयों के सभी जरुरी निदान।
सुरेश कुमार गौरव, शिक्षक, पटना (बिहार)
स्वरचित और मौलिक
@सर्वाधिकार सुरक्षित