हम बच्चों के मन में आती
तरह तरह की है बातें।
गुरुवर हमें बता दो इतना
क्यों होती हैं दिन रातें।
सूरज छुपते कहॉं रात में
उजियारा दिन में करते।
रात में शीतल रौशनी दे
चाँद कहॉं दिन में रहते।
सूरज दादा चंदा मामा
नहीं क्यों संग में आते।
जिज्ञासा हो जो बच्चों में
गुरु मौन कहॉं रह पाते।
सुनो गौर से बच्चों तुमको
बात सही है बतलाते।
सूरज दादा चंदा मामा
आसमान में हीं रहते।
सदा अक्ष पर धरती अपने
लट्टू सदृश हीं घूमते।
आएँ जब भी सूर्य सामने
दिन हम उसको बतलाते।
छिप जाता जो भाग सूर्य से
वहॉं रात हैं बतलाते।
धरती के चहुॅं ओर चंद्रमा
है चक्कर रोज लगाते।
यही वजह है सूरज दादा
चंदा संग नहीं आते।
दिन-रात सदा सुख-दुख जैसे
आते जाते हैं रहते।
सूरज दादा जैसे बच्चों
तुम हरपल रहो दमकते।
रौशनी लिए अच्छाई की
तिमिर बुराई से बचते।
राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज, पटना