नया समाज बनाना होगा – गीत – राम किशोर पाठक

Ram Kishor Pathak

नया समाज बनाना होगा – गीत

आओ मिलकर हम-सब सोचे, समाधान कुछ पाना होगा।
जन-जन के उत्कर्ष हेतु अब, नया समाज बनाना होगा।।

सदी इक्कीसवीं आयी है, दुनिया जिसकी गाथा गाता।
यंत्रों के आविष्कार लिए, खुद पर है हरपल इठलाता।।
यंत्र बना खुद मानव अब तो, मानवता सिखलाना होगा।
जन-जन के उत्कर्ष हेतु अब, नया समाज बनाना होगा।।०१।।

मग्न सभी अब धन संचय में, बने हुए हैं सुविधा भोगी।
तन-मन करके दूषित सारा, बने हुए हैं सारे रोगी।।
उनको करके दोष मुक्त अब, नवल रूप में लाना होगा।
जन-जन के उत्कर्ष हेतु अब, नया समाज बनाना होगा।।०२।।

रूढ़िवाद आडंबर के कारण, कुछ अब भी पीछे रहते है।
जीवन कंटक बना हुआ है, शोषण भी सहते रहते है।।
शिक्षा दीप जलाकर उनको, सतपथ राह दिखाना होगा।
जन-जन के उत्कर्ष हेतु अब, नया समाज बनाना होगा।।०३।।

है कुबेर सा कही खजाना, कही तरसना दाना पानी।
महलों में कुछ रात गुजारे, कही रहता छत आसमानी।।
बढ़ती समाज की खाईं को, समता पाट मिटाना होगा।
जन-जन के उत्कर्ष हेतु अब, नया समाज बनाना होगा।।०४।।

कलुष भरा हर रिश्तों में है, प्रेम उन्हें हम-सब सिखलाएँ।
भटक गएँ कुछ अपने पथ से, उनको गले लगा समझाएँ।।
राम कृष्ण की धरती अपनी, फिर से हमें बताना होगा।
जन-जन के उत्कर्ष हेतु अब, नया समाज बनाना होगा।।०५।।

सबमें बसते ब्रह्म एक है, सबको इतना बतलाना है।
जाति-धर्म सह ऊँच-नीच का, अब सारा भेद मिटाना है।।
समदर्शी सहकर्मी का अब, सबमें भाव जगाना होगा।
जन-जन के उत्कर्ष हेतु अब, नया समाज बनाना होगा।।०६।।

प्रेम सुधा रस बहे हमेशा, सबको अपना ही सब मानें।
पर पीड़ा का ध्यान रखें भी, सबकी मदद करें यह ठानें।।
“पाठक” कलम उठाकर बोला, नवरस काव्य पिलाना होगा।
जन-जन के उत्कर्ष हेतु अब, नया समाज बनाना होगा।।०७।।

गीतकार:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

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