किरणें जो सतह से टकराए
कहलाती हैं आपतित,
टकरा कर लौटती किरणें
कहलाती हैं परावर्तित..
हो सतह यदि चिकनी-समतल
तो परावर्तन होता है नियमित,
हो सतह रुखड़ी, उबड़-खाबड़
तो परावर्तन होता है विसरित..
किरणें नियमों से ही चलतीं,
चाहे नियमित हो या विसरित,
बस सतह मिले कोइ अपारदर्शी
चंदा, दर्पण या प्राणी जीवित..
अभिलम्ब आपतन बिंदु पर,
किरणें आपतित व परावर्तित,
होते हैं तीनों एक ही तल पर,
सर्वदा एक दूसरे से सम्बंधित..
परावर्तित होते हैं उसी कोण से,
जिस कोण से हों वो आपतित,
नियम दो हैं यही परावर्तन के,
जिनसे है परावर्तन अनुशासित..
खेल प्रकाश के बड़े निराले
हमको करते रहते हैं विस्मित,
रंग अनोखे, कृत्य अनोखे,
सबको करते रहते हैं ऊर्जित..
ओम प्रकाश
मध्य विद्यालय दीननगर ,जगदीशपुर, भागलपुर