प्रात:स्मरण- मनु रमण “चेतना”

Manu Raman Chetna

प्रात काल उठि गुरु – गुरु कहिये!
गुरु पुरे का नाम सुमरि के,
मन को वश में करिये ।
यह मन तो है बड़ा खुरफंद,
बाहर भागे, रहे स्वच्छंद ,
प्रत्याहार करके पुनि- पुनि,
मन को वापस लाईये।
प्रात काल उठि गुरु- गुरु कहिये…

गुरु की मूर्ति मन में धरिये।
मानस जाप मनहिं मन करिये।
दृष्टि साधन के अभ्यास से,
बिन्दु को लख लीजिये।
प्रातः काल उठि गुरु- गुरु कहिये ..

गुरु को साक्षात परमेश्वर कहिये ।
प्रेम श्रद्धा से हरदम भजिये।
आठो याम नाम सुमरि के,
आपन काज संवारिये,
भक्ति की शक्ति का महिमा अनुपम,
भक्ति को गहि लीजिए।
प्रात काल उठि गुरु – गुरु कहिए..

दया चाहें तो याद कीजिये।
क्रिया को अबकी उलट दीजिये।
नश्वर देह का नहीं ठिकाना,
कब छुट जाए लेकर कोई बहाना ,
क्षण- क्षण पल – पल प्रभु नाम सुमरिन कर,
इहलोक, परलोक संवारिये।
थोड़ा- थोड़ा हीं अभ्यास कर,
आवागमन नासाईये ।
प्रात काल उठि गुरु – गुरु कहिए।

स्वरचित:-
मनु रमण “चेतना”
पूर्णियाँ बिहार ।

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