बलिदानियों के दम पर
कर लें कितनी भी कोशिश ,वह कोशिश नहीं है भाती ।
हो न दिल में जुनून जब तक अपना रंग नहीं जमाती ।
बलिदानियों के दम पर भारत गुलामी से भी उबरा,
इससे सारे भारत में पहले मातम ही तो था पसरा ।
तोड़ जंजीरें गुलामी की भारत का मान बढ़ाया ,
चलने के कंटक भरे मार्ग पर वीरों ने जोश जगाया ।
लक्ष्मीबाई की वीरगाथा सबके दिलों को भाती ,
उनके पराक्रम पर तो कोटि सिर आज भी नवाती ।
शौर्य कौशल लक्ष्मीबाई ने रणभूमि में बड़े दिखाए ,
उन जैसी वीरांगना कोई और भारत में न लख पाए।
बाबू कुंवर सिंह का पराक्रम अस्सी वर्षों में भी जागा ,
इस पुरुषार्थ के ही कारण सामने से अंग्रेज फौज भागा ।
क्रांतिवीर खुदीराम बोस की लोग आज भी नाम लेते ,
उनके जुनून , जज्बा को लोग आज भी सम्मान देते ।
भगत , सुखदेव, राजगुरु क्रांतिकारियों के क्या कहने ,
इनके पराक्रम और तीक्ष्ण बुद्धि से अंग्रेज भी थे सहमे ।
फांसी की सजा पर इन सपूतों का दिल न दहला ,
क्रांतिकारियों को फांसी देकर अंग्रेजों का मन बहला ।
उस समय भी तीनों की लोकप्रियता आसमान छूते थे,
ऐसे कुकृत्य कर अंग्रेजों के भाग्य ही फूटे थे ।
अशफाक , बिस्मिल , राजेंद्र , रौशन और चंद्रशेखर ,
ये सब थे क्रांतिवीर काकोरी कांड के मुख्य धुरंधर ।
अपने प्राण अर्पण कर दिए मातृभूमि आजाद कराने में ,
क्या जुनून था इन सपूतों के स्वतंत्रता के दीप जलाने में ।
आजाद हिंद के नायक सुभाष को कौन जानता नहीं है ,
इनके जुनून और वसूलों को कौन पहचानता नहीं है ।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर
