जिनके सिंहनाद से सहमी धरती
है रही अभी तक डोल,
✒️ कलम आज उनकी जय बोल
✒️ कलम आज उनकी जय बोल।
आज का दिन है बड़ा महान,
आज हीं जन्म लिए दिनकर जी
हम गाते हैं उनके लिए जय गान।
इनका जन्म 23 सितंबर 1908 ई०को
जिला बेगूसराय सिमरिया नामक गाँव में एक किसान परिवार में हुआ,
इनके पिता का नाम रवि सिंह
माता का नाम मनरूप देवी था।
बहुत छोटे थे दिनकर जी
इनके पिता स्वर्ग सिधार गए,
विधवा बनकर पाली माता
सर पर कितना भार लिए।
1928 ई० में मैट्रिक किए ये
1932ई०में बी०ए०किए,
उसी के अगले साल 1934में
दिनकर जी प्रधानाध्यापक बने।
1960 ई०में भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति बने
उसी समय वे पूर्णियाँ आना -जाना शुरू किए,
उसी समय पूर्णियाँ काॅलेज में
रश्मिरथी नामक पुस्तक की रचना किए
उसी रश्मिरथी में एक रचना है
वर्षो तक वन में घूम-घूम
वाधा विघ्नों को चूम- चूम लिखे।
दिनकर जी को राष्ट्रपति ने
राज्यसभा में सदस्य के रूप में मनोनीत किया,
उसी दिन से उनको लोग राष्ट्रकवि कहके पुकारना शुरू किया।
24 अप्रील 1974ई0को
ईश्वर आए इनके पास,
ईश्वर ने गोदी में बिठाकर
ले गए वो अपने साथ।
आज हम हमसब इनके जन्म दिन पर
करते हैं हम इनको नमन
जबतक सूरज चांद रहेगा
तबतक रहेगा इनका नाम अमर।
नीतू रानी पूर्णियां बिहार