अपने पापा की प्यारी परी हूं।
जननी मां की राज दुलारी हूं।।
बड़े भैया की बहना न्यारी हूं।
बाबुल के अंगना की फूलवारी हूं ।।
मैं तो दो जहां की राजकुमारी हूं।
रूप अनेक पर मैं इक नारी हूं।।
अपने प्यारे बच्चों की मां रानी हूं ।
पिया ज़ी के दिल की धानी हूं।।
सास ससुर के बुढ़ापे की छड़ी हूं ।
परिवार को जोड़ने वाला कड़ी हूं।।
मैं तो दो जहां की राजकुमारी हूं।
रूप अनेक पर मैं इक नारी हूं।।
रणजीत कुशवाहा प्राथमिक कन्या विद्यालय लक्ष्मीपुर रोसड़ा समस्तीपुर
(बिहार)
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