तलवार-सी तेज़ है, हर जवान का हौसला,
चट्टानों से टकराए, रुके ना कभी काफिला।
तिरंगे की शपथ ले, बढ़ते वो सीना ताने,
दुश्मन के दिलों में डर, हर कदम बंदूक ताने।
हिमालय की ऊँचाई से उनका हौसला बढ़ता,
सागर की लहरों संग हर योद्धा आगे बढ़ता।
धरती के प्रहरी हैं, आकाश के वो शेर,
दुश्मन की चालों को पल में कर दें ढेर।
गरजें जब रण में, बिजली भी काँप जाए,
शत्रु का हर किला पल भर में ढह जाए।
मातृभूमि के लिए जान भी न्योछावर कर दे,
हर सैनिक के दिल में जज्बा वतन पे जान कुर्बान कर दे।
जिनके दम से है ये तिरंगा आसमान में,
गूँजती है जय हिंद की गाथा हर गान में।
आँधी हो या तूफान, वो रुकते नहीं कभी,
वतन के इन वीरों से चमके गगन सदा ही।
आओ झुकाएँ शीश, करें इनका सम्मान,
भारतीय सेना है, देश की सच्ची जान।
हर सैनिक की गाथा है उनकी गौरवमयी कहानी,
जय हिंद! जय भारत! यही है हमारी वाणी।
सुरेश कुमार गौरव, उ. म. वि. रसलपुर, फतुहा, पटना (बिहार)