वीर सपूत अंबेडकर- रत्ना प्रिया

संविधान की धाराओं में , प्रेरणा नवनिर्माण है ,
अंबेडकर जैसा वीर सपूत , भारत का अभिमान है |

जाति-प्रथा, भेद-भाव के दंश विष को पीने को ,
नन्हा, कोमल मन विवश था अपमानित हो जीने को,
दलित वर्ग का वह बालक, कर्त्तव्य निष्ठा का प्रमाण है |
अंबेडकर जैसा वीर सपूत भारत का अभिमान है |

समाज की प्रगति का आकलन महिलाओं से होता है ,
शिक्षित, सभ्य, शालीन समाज आधार देश का होता है ,
नर-नारी में भेद करना, मानवता का अपमान है |
अंबेडकर जैसा वीर सपूत भारत का अभिमान है |

प्रखर व्यक्तित्व, ज्ञान का प्रतीक, भारत सपूत सयाना है,
अदम्य साहस जीजिविषा का विश्व ने लोहा माना है,
समता, ममता की स्याही से लिखा संविधान है |
अंबेडकर जैसा वीर सपूत भारत का अभिमान है |

करोड़ों, शोषित दीन जनों का, जीवन है सँवार दिया,
भारत रत्न महामानव ने हम पर यह उपकार किया,
प्रस्तावना के शब्दों में संविधान के प्राण हैं |
अंबेडकर जैसा वीर सपूत भारत का अभिमान है |

कानून और संविधान में अब सुधार की बारी है ,
बदलते युग के परिवेश में इसकी करनी तैयारी है ,
इन विचारों में भीम के सपने व अरमान हैं |
अंबेडकर जैसा वीर सपूत भारत का अभिमान है |

रत्ना प्रिया ,
मध्य विद्यालय
हरदेवचक, पीरपैंती, भागलपुर

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