शिवरात्रि है – राम किशोर पाठक

ram किशोर

छंद – घनाक्षरी

शिव शंकर की भक्ति, श्रद्धा भाव यथाशक्ति,

मिटाती यह आसक्ति, बनें दया-पात्र हैं।

मनाएँ हर माह में, त्रिपुरारी की छाँह में,

कृपालु के पनाह में, रहें दिवा-रात्र हैं।

धन के भंडार भरें, मन के विकार हरें,

रोग, शोक नाश करें, जैसे खर-पात्र है।

प्रति मास उपवास, कृष्ण पक्ष का विश्वास,

त्रयोदशी तिथि खास, शुभ शिवरात्रि है।

रचयिता: राम किशोर पाठक

प्राथमिक विद्यालय, भेड़हरिया इंगलिश, पालीगंज, पटना।

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply