मन मेरा है बना शिवाला
रहता उसमें डमरू वाला
डम डम डमरू बजा रहा है
मन नाचे होकर मतवाला।।
सांसो की है बजे बांसुरी
जपती रहती शिव की माला।
वो है सारे जग का मालिक
देता सबको वही निवाला।
बिन खाए ही भांग धतूरा
झूम रहा है मन मतवाला—
कहते हैं सच ज्ञानी ध्यानी
भोले बाबा औघड़ दानी।
बिन मांगे वे सब कुछ देते
जीवन पाते हैं सब प्राणी।।
बाबा महिमा कहीं न जाए
वो सारे जग का रखवाला—
कृपा सब पर हैं बरसाएं
सारी दुनिया शिव गुण गाएं।
जो शंभू के द्वारे आएं
बाबा उसके गले लगाएं।।
पीड़ हरे वो दीन दुखी के
खुद पीते हैं विष का प्याला—–
विनती करती हाथ जोड़कर
सदा करो प्रभु कृपा मुझ पर।
भूल चूक मेरी बिसराना
मुझको अपनी दास समझकर।।
हर पल तेरा ही गुण गाऊँ
तुमने मुझको पोसा पाला–
मीरा सिंह “मीरा”
+2, महारानी उषारानी बालिका उच्च विद्यालय डुमराँव, जिला-बक्सर, बिहार